पीएम मोदी ने दिए संकेत, लोक लुभावन नहीं होगा बजट

punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2018 - 08:19 AM (IST)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया कि आगामी आम बजट कोई लोक लुभावन बजट नहीं होगा और सरकार सुधारों के अपने एजैंडे पर ही चलेगी, जिसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था 5 प्रमुख कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी से निकल कर दुनिया का आकर्षक गंतव्य बन गया है। एक समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मात्र एक धारणा है कि लोग मुफ्त की चीजें और छूट चाहते हैं। उन्होंने कहा कि तय यह करना है कि देश को आगे बढऩे और मजबूत होने की जरूरत है या इसे इस राजनीतिक संस्कृति-कांग्रेस की संस्कृति का अनुसरण करना है।

मोदी ने कहा कि आम जनता ईमानदार सरकार चाहती है। आम आदमी छूट या मुफ्त की चीज नहीं चाहता है। यह (मुफ्त की चीज की चाहत) आप की कोरी कल्पना है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के फैसले जनता की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हैं। प्रधानमंत्री ने बातचीत के दौरान अपनी सरकार की आॢथक नीतियों का जोरदार बचाव किया। जी.एस.टी. के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार माल एवं सेवा कर में संशोधन के सुझाव पर अमल के लिए तैयार है ताकि इसे अधिक कारगर प्रणाली बनाया जा सके और इसकी खामियां दूर हों।

मोदी ने कहा कि स्वच्छ और स्पष्ट नीतियों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है और उद्यमी (निवेश का) जोखिम उठाने लगे हैं। भारत बड़े आर्थिक अवसरों का देश और वैश्विक निवेश का आकर्षक गंतव्य बन गया है। प्रधानमंत्री ने आर्थिक वृद्धि के बावजूद रोजगार न बढऩे की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि रोजगार सृजन के विषय पर ‘मिथ्या’ बातें कही जा रही हैं। सरकार की नीतियां रोजगार सृजन के लिए हैं। हालांकि मोदी ने माना कि किसान संकट में जरूर है।

PM की खरी-खरी
-कांग्रेस मुक्त भारत चुनाव परिणाम की बात
नहीं है। मैं चाहता हूं कि कांग्रेस खुद भी कांग्रेसी संस्कृति से मुक्त हो।
-तीन तलाक विधेयक राजनीतिक कदम नहीं, इसका उद्देश्य कुप्रथा से मुस्लिम महिलाओं को बचाना है।     
-जी.एस.टी. एक प्रक्रिया है और इसमें कहीं कोई कोर-कसर रह गई है तो उसे ठीक किया जाएगा।
-यह धारणा गलत है कि देश की विदेश नीति पाकिस्तान आधारित है।
-सरकार और राजनीतिक दलों को अवश्य ही सुप्रीम कोर्ट विवाद से दूर रहना चाहिए।
-आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाने के लिए ट्रंप का सम्मान करता हूं।
-नोटबंदी का फैसला ‘सफलता’ की एक बड़ी कहानी है।


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