बदलती जीवनशैली से बढ़ रहा स्तन कैंसर

punjabkesari.in Friday, Sep 22, 2017 - 10:10 AM (IST)

नई दिल्ली (सिंह): इंडियन मैडीकल एसोसिएशन (आई.एम.ए.) के मुताबिक भारतीय महिलाओं में छोटी उम्र में ही स्तन कैंसर होने लगा है। जागरूकता की कमी और रोग की पहचान में देरी के चलते इसके उपचार में कठिनाई भी आती है। रोग होने के पीछे जीन की बनावट, पर्यावरण और दोषपूर्ण जीवनशैली प्रमुख कारण है। आई.एम.ए. के अध्यक्ष पद्मश्री डा. के.के. अग्रवाल ने कहा कि स्तन कैंसर में इस रोग के ऊतक या टिश्यू स्तन के अंदर विकसित होते हैं।

यह ज्ञात हो चुका है कि डी.एन.ए. में अचानक से होने वाले परिवर्तनों के कारण सामान्य स्तन कोशिकाओं में कैंसर हो जाता है। यद्यपि इनमें से कुछ परिवर्तन तो माता-पिता से मिलते हैं लेकिन बाकी ऐसे परिवर्तन जीवन में खुद ही प्राप्त होते हैं। एस्ट्रोजेन हार्मोन स्तन ग्रंथियों के ऊतकों के विभाजन को तीव्र करता है। किसी महिला में यदि लंबे समय तक एस्ट्रोजेन अधिक रहता है तो स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा रहता है। यदि 11 वर्ष की आयु या उससे पहले ही मासिक धर्म शुरू हो जाए या 55 वर्ष या उससे अधिक उम्र में रजोनिवृत्ति हो तो माना जाता है कि एस्ट्रोजेन का एक्सपोजर अधिक है।

बीमारी के लक्षण
स्तन कैंसर के कुछ लक्षणों में स्तन या बगल में गांठ बन जाना, स्तन के निप्पल से खून आना, स्तन की त्वचा पर नारंगी धब्बे पड़ना, स्तन में दर्द, गले या बगल में लिम्फ नोड्स के कारण सूजन होना प्रमुख हैं।

कम वसा वाला आहार लें
30 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं की स्क्रीङ्क्षनग जरूर की जाए। साथ ही जीवनशैली में भी बदलाव किए जाएं तो रोग की आशंका कम की जा सकती है। शराब, धूम्रपान से बचें, वजन घटाएं, व्यायाम करें, स्तनपान करवाएं, फल-सब्जी व संपूर्ण अनाज का सेवन करें।

27- प्रतिशत मामले स्तन कैंसर के हैं। भारत में कैंसर के मामलों में
30- वर्ष की उम्र से लेकर 64 वर्ष की उम्र तक कभी भी हो सकती है यह बीमारी
28- में से किसी एक महिला को स्तन कैंसर होने का अंदेशा रहता है


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