ए राजा का सवाल- 2जी घोटाले मामले में क्यों चुप रहे मनमोहन सिंह

punjabkesari.in Thursday, Jan 18, 2018 - 08:06 PM (IST)

नई दिल्ली: पूर्व दूरसंचार मंत्री एंदीमुथु राजा ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिं​ह की स्पष्ट चुप्पी पर सवाल उठाये हैं। राजा का कहना है कि मनमोहन उस दूरसंचार नीति का बचाव करने के लिए कुछ क्यों नहीं बोले जिसे उन्होंने खुद मंजूरी दी थी। सीबीआई की एक अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम आंवटन घोटाला मामले में ए राजा सहित सभी आरोपियों को हाल ही में बरी कर दिया था। 

विनोद राय पर साधा निशाना 
अपनी किताब ‘2जी सागा अनफोल्डस’ (2जी कथा की सच्चाई) में राजा ने तत्कालीन नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय पर निशाना साधा है। राजा के अनुसार राय ने ‘गलत उद्देश्यों’ के चलते कैग के पद का एक तरह से ‘सौदा’ कर लिया। राय ने ही स्पेक्ट्रम आवंटन में गड़बडिय़ों के चलते सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये के ‘प्रकल्पित’ घाटे की बात कही थी।राजा का दावा है कि नयी कंपनियों को 2जी दूरसंचार स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए उन्होंने मनमोहन सिंह की ‘मंजूरी’ ली थी। राजा ने यह किताब मामले में सुनवाई प्रक्रिया के दौरान ही लिख ली। 

2जी घोटाले को बताया शर्मनाक धब्बा
किताब में दावा किया गया कि सिंह को उनके सलाहकारों ने बारंबार गलत सूचनाएं दी और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) दूरसंचार लॉबी के दबाव में था। उन्होंने लिखा कि 22 अक्तूबर, 2009 को सीबीआई द्वारा दूरसंचार मंत्रालय व कुछ दूरसंचार कंपनियों के कार्यालयों पर छापेमारी के बाद वह शाम सात बजे प्रधानमंत्री से मिले। पीएमओ में प्रधान सचिव टी के ए नायर भी उस समय मौजूद थे। लोगों को हैरानी होगी कि प्रधानमंत्री को जब मैंने सीबीआई के छापों के बारे में बताया तो वे कुछ हतप्रभ रह गए। अपनी किताब में राजा ने 2जी घोटाले को ‘देश की प्रशासनिक प्रणाली की ​पवित्रता पर शर्मनाक धब्बा’ करार दिया है। 

पिछले महीने राजा को किया गया बरी
राजा के अनुसार सह ‘संप्रग-दो की हत्या के लिए राजनीति से प्रेरित मामला था जिसमें विनोद राय के कंधें पर रखकर बंदूक चलाई गई। उन्होंने लिखा कि तत्कालीन कैग ने ‘एक बिल्ली की तरह व्यवहार किया जो अपनी आंखें बंद कर लेती है और कहती है कि सारी दुनिया में अंधेरा हो गया।’  उल्लेखनीय है कि एक विशेष अदालत ने इस मामले में पिछले महीने राजा व सभी अन्य आरोपियों को बरी कर दिया जिन भर भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी के आरोप थे। कैग ने स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपये के घोटाले की बात की थी जिसके चलते उच्चतम न्यायालय ने कंपनियों को जारी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए। आरोप था कि बिना नीलामी के दूरसंचार स्पैक्ट्रम आवंटन में गड़बड़ी के चलते सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित घोटाले की चर्चा से उत्पन्न वातावरण के चलते तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को खासी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। 


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