कार्तिगई दीपम पर्व कल: संध्या के समय काली गाय को खिलाएं ये चीज

punjabkesari.in Friday, Dec 01, 2017 - 12:06 PM (IST)

कल शनिवार दी॰ 02.12.17 मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी व कृतिका नक्षत्र के उपलक्ष में शनिवारीय कार्तिगई दीपम पर्व मनाया जाएगा। हर महीने मनाया जाने वाला कार्तिगई दीपम दक्षिण संस्कृति का सबसे प्राचीन पर्व माना जाता है। कार्तिगई दीपम पर्व की उत्पत्ति का मूल सूर्य का नक्षत्र कृतिका है। ज्योतिषशास्त्र में अग्निदेव को कृतिका नक्षत्र के प्रतीक चिन्ह के रुप में चित्रित किया गया है। अतः यह नक्षत्र अपने स्वभाव में अग्नि और गुस्से को दर्शाता है। हर माह में जब भी चंद्रमा कृतिका नक्षत्र में विचरण करते हैं तब मासिक कार्तिगई दीपम पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यतानुसार परमेश्वर शिव ने भगवान विष्णु व ब्रह्मदेव को अपनी सर्वोच्चता सिद्ध करने हेतु प्रकाश की एक अंतहीन अग्नि को लौ में खुद को परिवर्तित कर लिया था। इस पर्व में संध्या के समय तेल के दीपों की पंक्तियों को घर व शिवालय में सजाकर दीपौत्सव मनाया जाता है। शनिवारीय कार्तिगई दीपम पर्व के विशेष पूजन से दुर्भाग्य से छुटकारा मिलता है, आर्थिक नुकसान से मुक्ति मिलती है व दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।

  
विशेष पूजन: संध्या के समय शिवालय जाकर शिवलिंग का विधिवत पूजन करें, तिल के तेल का दीप करें, लोहबान से धूप करें, पीपल के पत्ते चढ़ाएं, काजल चढ़ाएं, उड़द से बने मिष्ठन का भोग लगाएं तथा रुद्राक्ष माला से इस विशिष्ट मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद भोग काली गाय को खिला दें। 


पूजन मंत्र: ॐ अघघ्नाय नमः शिवाय॥ 


पूजन मुहूर्त: शाम 18:15 से शाम 19:15 तक।
 

उपाय
दुर्भाग्य से मुक्ति हेतु साबूत काली मिर्च के 13 दाने शिवलिंग पर चढ़ाएं।

आर्थिक नुकसान से मुक्ति हेतु काले कपड़े में बंधे 12 बादाम शिवलिंग पर चढ़ाएं।

दुर्घटनाओं से सुरक्षा के लिए पानी वाला नारियल सिर से 8 बार वारकार शिवलिंग पर चढ़ाएं।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.co
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