अजब-गजब परंपरा: पशु-पक्षियों को खिलाने के बाद ही भक्तों में बंटता है प्रसाद

punjabkesari.in Thursday, Nov 30, 2017 - 07:43 AM (IST)

बलरामपुर के तुलसीपुर क्षेत्र में स्थित देश की इक्यावन शक्तिपीठों मेें से एक मां पाटेश्वरी देवी पाटन मन्दिर में आज भी पशु-पक्षियों को प्रसाद खिलाने के बाद भक्तों को बांटने की परंपरा है।  ईश्वर का वास मनुष्य ही नहीं अपितु पशु-पक्षियों के संग कण-कण में होता है। इसकी बानगी प्रत्यक्ष रुप से देखने को मिलती है। यहां आज भी पशु-पक्षियों को प्रसाद खिलाकर भक्तों को बांटने की परंपरा है। मन्दिर के महंत मिथलेशनाथ योगी के अनुसार मन्दिर में मां भगवती को भोग लगाने के बाद चील, कौवे, बाज, कबूतर, चिडिय़ा, गौरैया, गौ, कुत्ते तथा अन्य नाना प्रकार के खग विहग पशु-पक्षियों को परंपरागत भोजन कराया जाता है। मन्दिर परिसर में जैसे ही घंटा घडिय़ाल बजना आरंभ होता है, इधर उधर अन्य स्थानों से उड़ान भर पक्षियों का झुंड मन्दिर में भोजन के लिए एकत्र हो जाता है। इतना ही नहीं पशु-पक्षी भी सती माता को चढ़ाए प्रसाद को भोजन के रुप में झुंड में ग्रहण कर मनमोहक चहचहाहट के संग अठखेलियों को प्रस्तुत कर मां के भक्तों का मन मोह लेते हैं। 


मन्दिर परिसर में लगे प्राचीन बरगद के पेड़ों पर हजारों की संख्या में चमगादडों का वास है जिनको दूर-दराज से आए देवीभक्त देर देर तक निहार कर उनकी हरकतों को देखकर प्रसन्न होते हैं। उन्होंने बताया कि संसार की रचना में प्रकृति, मानव तथा पशु- पक्षियों का महत्वपूर्ण योगदान है। सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री गौरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ देवी पाटन मन्दिर के मुख्य संरक्षक हैं। श्री योगी का गौ तथा अन्य पशुओं से प्रेम जगजाहिर हैं। इसी कारण मन्दिर परिसर में गौशाला के अतिरिक्त घोंसले, पिंजड़े, घरौंदे तथा अन्य जानवरों के शरणालय बने हैं। नाथ संप्रदाय के देश- विदेश से आने वाले अनुयायी पालतू पशुओं की सेवादारी कर पुण्य कमाते हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री श्री योगी ने देवीपाटन मन्दिर को शीघ्र ही पर्यटन स्थल घोषित करने का ऐलान किया है।


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