उत्तर कोरिया के समक्ष झुका अमरीका, की ये पेशकश

punjabkesari.in Wednesday, Dec 13, 2017 - 11:29 AM (IST)

वाशिंगटनः उत्तर कोरिया के परमाणु जंग के बढ़ते खतरे से विश्व को बचाने के लिए अमरीका  नया कूटनीतिक कदम उठाते  उत्तर कोरिया सामने झुक गया है। अमरीकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने बिना पूर्व शर्तों के उत्तर कोरिया के साथ बातचीत शुरू करने की पेशकश की है। टिलरसन ने मंगलवार को  एक भाषण में उत्तर कोरिया को पेशकश करते हुए कहा, 'चलो मिलते हैं।' उनकी इस पेशकश के बाद अमरीकी को अपनी मांगों से पीछे हटना पड़ सकता है। अमरीका ने इससे पहले कहा था कि परमाणु निरस्त्रीकरण की स्थिति में ही उत्तर कोरिया से बातचीत संभव है। उत्तर कोरिया की ओर से किए जा रहे उन्नत किस्म के परमाणु परीक्षणों और मिसाइलों के प्रक्षेपण के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है और दोनों देशों के बीच तीखे आरोप-प्रत्यरोप भी हो चुके हैं।

टिलरसन ने परमाणु हथियार से लैस उत्तर कोरिया को बर्दाश्त न करने की अमरीका की लंबे समय की स्थिति को दोहराते हुए कहा कि अगर उत्तर कोरिया तैयार होता है तो अमरीका किसी भी समय वार्ता के लिए तैयार हैं। लेकिन इससे पहले उत्तर कोरिया को अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के साथ अपने रवैये में बदलाव करना चाहिए। यह हालांकि अभी साफ नहीं है कि प्रशासन के अंदरुनी हिस्से में दखल रखने वाले टिलरसन के इस कूटनीतिक प्रयास को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी पूर्ण समर्थन हासिल है या नहीं। टिलरसन ने पहले भी उत्तर कोरिया के साथ संपर्क कायम करने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनसे कहा कि वह अपना समय बर्बाद करेंगे।

उत्तर कोरिया ने साफ कर दिया है कि अमरीका के साथ बातचीत में उसकी कोई रुचि नहीं है जब तक कि अमरीकी जमीन तक मार करने वाला परमाणु आधारित मिसाइल विकसित नहीं कर लेता। हालांकि अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया अभी तक इसे हासिल नहीं कर पाया है। टिलरसन ने यह भी कहा कि अमरीका उत्तर कोरिया के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने के लिए काम कर रहा है, विशेष रूप से चीन द्वारा लागू किए जा सकने वाले उपायों में भी सहयोग कर रहा है। यदि जरुरत हुई तो अमरीका के सैन्य विकल्प खुले हुए हैं।

उन्होंने कहा कि अमरीका ने चीन के साथ बातचीत की है कि किस तरह उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों को संकट में सुरक्षित किया जा सकता है और बीजिंग को आश्वासन दिया गया है कि अगर अमरीकी सेना किसीप्रकार उत्तरी कोरिया में प्रवेश कर जाते हैं तो वे दक्षिण कोरिया लौट आएंगे। टिलरसन ने हालांकि स्पष्ट किया कि अमेरिका शांतिपूर्ण कूटनीति के माध्यम से उत्तर कोरिया मसले को हल करना चाहता है


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News