पाक प्रोफैसर की देश को चेतावनी, खुल कर करो सैक्‍स पर बात वरना...

punjabkesari.in Wednesday, Mar 22, 2017 - 12:47 PM (IST)

इस्लामाबादः भारत हो या पाकिस्तान दोनों ही देश रूढ़िवादी और परंपरावादी हैं। ये अलग बात है कि गूगल पर सैक्स सर्च करने में दोनों ही देश काफी आगे हैं। ऐसे में सैक्स से जुड़े मुद्दों पर विवाद हो जाना आम बात है, भले ही वो बात किसी अच्छे मकसद से की जा रही हो। ताजा मामला पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अखबार डॉन में एक टिप्पणीकार द्वारा सैक्स पर खुलकर बात करने की राय देने से जुड़ा है। लाहौर और इस्लामाबाद में फिजिक्स और मैथ पढ़ाने वाले परवेज हूदभाई ने लिखा है कि पाकिस्तान में हर किसी को भारत और अमरीका के षडयंत्रों, भ्रष्टाचार और आतंकवाद की चिंता है लेकिन देश में हो रहे जनसंख्या विस्फोट की किसी को परवाह नहीं है।

परवेज ने लिखा कि पाकिस्तान में मौजूद कट्टरपंथी चाहते हैं कि देश की जनसंख्या अधिक से अधिक हो। कट्टरपंथियों को लगता है कि हर नए बच्चे के जन्म के साथ उन्हें एक नया सदस्य मिल गया। इसलिए वो परिवार नियोजन जैसी चीजों का विरोध करते हैं। परवेज ने लिखा है कि पाकिस्तान की आबादी इसी तरह बढ़ती रही तो वहां रहने के लिए जगह नहीं बचेगी। परवेज के अनुसार जनसंख्या बढ़ने से पाकिस्तान में पीने के पानी और साफ हवा की भी कमी हो जाएगी।परवेज ने बताया कि है कि 1947 में पाकिस्तान के जन्म के समय उसकी जनसंख्या 2 करोड़ 70 लाख थी जो अब 20 करोड़ हो चुकी है।परवेज के अनुसार पाकिस्तान की जनसंख्या पिछले 25 साल में करीब दोगुनी हो गई है।

परवेज ने लिखा है कि पाकिस्तान की आबादी इसी लिहाज से बढ़ती रही तो अगले 100 साल में विश्व की मौजूदा जनसंख्या 7.2 अरब के बराबर हो जाएगी। सी.आई.ए. की विश्व फैक्टबुक के अनुसार पाकिस्तान की जनसंख्या वृद्धि में साल 2000 से 2014 के बीच में कमी आई है लेकिन ये गिरावट जनसंख्या के आवश्यक नियंत्रण के लिए काफी नहीं है। परवेज लिखते हैं कि परमाणु युद्ध जैसे कोई आपदा ही अगले 35-40 साल में पाकिस्तान की जनसंख्या 40 करोड़ होने से रोक पाएगी। ऐसे बुरे भविष्य से पाकिस्तान को बचाने का क्या उपाय है?

परवेज इसका जवाब देते हुए कहते हैं कि इस दिशा में पहला कदम ये होगा कि हम अपने सबसे बड़े राष्ट्रीय रहस्य को सार्वजनिक कर दें कि “बच्चे कैसे पैदा होते हैं यानि सैक्स पर खुल कर चर्चा करें?” परवेज कहते हैं कि इसके बाद ही पाकिस्तानी मीडिया, स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक जगहों पर गर्भनिरोध की चर्चा हो सकेगी। परवेज के अनुसार इस मामले में जानकारी न होने के कारण पाकिस्तानी महिलाएं गर्भनिरोधकों का बहुत कम प्रयोग करती हैं और इसीलिए वो बच्चों पैदा करने के मामले में अपनी पसंद को अमली जामा पहनाने से चूक जाती हैं।


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