दिल्ली से 4 गुना हिमशैल अंटार्कटिका से टूटा, डूब सकते हैं भारत के ये क्षेत्र

punjabkesari.in Thursday, Jul 13, 2017 - 04:48 PM (IST)

लंदन:  वैज्ञानिकों ने आज कहा कि करीब एक खरब टन का हिमशैल कई महीनों के पूर्वानुमान के बाद अंटार्कटिका से टूटकर अलग हो गया है और अब दक्षिणी ध्रुव के आसपास जहाजों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
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आकार दिल्ली से 4 गुना बड़ा
लार्सन सी बर्फ की चट्टान से टूटकर अलग हुए हिमखंड का आकार 5 हजार 800 वर्ग किलोमीटर है, जो भारत की राजधानी दिल्ली के आकार से 4 गुना बड़ा है। गोवा के आकार से डेढ़ गुना बड़ा और अमेरिका के न्यू यॉर्क शहर से 7 गुना बड़ा है। ये अब तक का सबसे बड़े आकार का हिमशैल है।
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भारत पर क्या होगा असर?
भारत पर इसके असर की बात करें तो अरब सागर पर इसका प्रभाव जल्द नहीं दिखेगा। समुद्री स्तर में बढ़ोतरी होने से अंडमान और निकोबार के कई टापू और बंगाल की खाड़ी में सुंदरबन के हिस्से डूब सकते हैं। हालांकि इसका असर लंबे समय बाद देखने को मिलेगा। अरब सागर की तरफ इसका असर कम होगा लेकिन यह लंबे समय में दिखेगा। भारत की 7 हजार 500 किलोमीट लंबी तटीय रेखा को इससे खतरा है।
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नौवहन यातायात के लिए पैदा हो सकती है मुश्किलें
लार्सन सी बर्फ की चट्टान से 5800 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा अलग हो जाने से इसका आकार 12 फीसदी से ज्यादा घट गया है और अंटार्कटिक प्रायद्वीप का परिदृश्य हमेशा के लिए बदल गया है। अंटार्कटिका से हमेशा हिमशैल अलग होते रहते हैं लेकिन यह क्योंकि खास तौर पर बड़ा है ऐसे में महासागर में जाने के इसके रास्ते पर निगरानी की जरूरत है क्योंकि यह नौवहन यातायात के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।
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क्या है टूटने का कारण?
वैज्ञानिकों की मानें तो इस हिमखंड के अलग होने का कारण कार्बन उत्सर्जन है।  उनका कहना है कि कार्बन उत्सर्जन से वैश्विक तापमान बढ़ रहा है जिससे ग्लेशियर जल्दी पिघल रहे हैं। सालों से पश्चिमी अंटार्कटिक हिम चट्टान में बढ़ती दरार को देख रहे शोधकर्त्ताओं ने कहा कि यह घटना 10 जुलाई से लेकर आज के बीच किसी समय हुई है। इस हिमशैल को ए68 नाम दिए जाने की संभावना है और यह एक खरब टन से ज्यादा वजनी है। इसका विस्तार सबसे बड़ी लहरों में से एक लेक इरी के विस्तार से दो गुना है।


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