72 साल पहले हुअा था दुनिया का पहला परमाणु परीक्षण, मची थी तबाही

punjabkesari.in Sunday, Jul 16, 2017 - 04:00 PM (IST)

नई दिल्लीः हिरोशिमा और नागासाकी पर किए गए परमाणु हमले काे 72 साल पूरे हो गए है। 6 अगस्त, 1945 को अमरीकी बॉम्बर प्लेन बी-29 ने जमीन से तकरीबन 31000 फीट की ऊंचाई से जापान के हिरोशिमा में पहला परमाणु बम 'लिटल बॉय' गिराया था। इसके 3 दिन बाद उसने ऐसा एक और बम 'फैट मैन' नागासाकी पर फेंका। इन हमलाें में करीब 2 लाख लोग मारे गए थे। परमाणु हथियारों की दौड़ में शामिल देशों के लिए हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही एक सबक है। कोई भी उस तबाही को कभी नहीं भूल सकता, क्योंकि आज भी वहां के लोग इस दंश को भुगत रहे हैं। 
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तबाही को नाम ऑप्रेशन 'लिटल ब्वॉय'
इस परमाणु हमले का कोड नेम था 'लिटल ब्वॉय'। द्धितीय विश्व युद्ध के दौरान अमरीका के मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत लॉस अलामोस में परमाणु बम 'लिटल बॉय' तैयार किया गया था। तकरीबन 4000 किग्रा वजनी इस बम की लंबाई तीन मीटर और व्यास 71 सेंटीमीटर था। इस बम ने अपनी विस्फोटक क्षमता यूरेनियम -235 की न्यूक्लियर फिशन प्रोसेस (नाभिकीय विखंडन प्रक्रिया) से हासिल कर ली थी। इसकी विध्वंसक क्षमता 13-18 किलोटन टीएनटी (ट्राइनाइट्रोटालुइन) के बराबर थी।
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कैसे खत्म हुअा था युद्ध?
यह घटना दूसरे विश्वयुद्ध के अंतिम चरणों में से एक है। इसके आसपास की लगभग हर चीज जलकर खाक हो गई थी। इस बम के जरिए जमीनी स्तर पर लगभग 4,000 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी पहुंची थी, जोकि स्टील को पिघलाने के लिए काफी होती है। इनमें से कुछ लाेग जो बम हमले से बच गए थे, वाे भारी रेडिएशन की चपेट में आने के कारण बाद में मर गए थे। कुछ दिन बाद 15 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था और युद्ध समाप्त हो गया था।
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'हिल गई थी दुनिया'
कहा जाता है कि परमाणु बम का निर्माण 1941 में तब शुरू हुआ जब नोबेल विजेता वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अमरीकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन रूजवेल्ट को इस प्रोजेक्ट की फंडिंग करने के लिए राजी किया। उस समय खुद आइंस्‍टीन ने भी नहीं सोचा होगा कि इसके इतने घातक परिणामों हो सकते हैं। इस हमले ने पूरी दुनिया काे हिला कर रख दिया था। यह घटना मानव इतिहास में काले अक्षरों से लिखी गई।


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