निशाना नहीं चूकता तो कारगिल युद्ध में ही मारे जाते नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ!

punjabkesari.in Monday, Jul 24, 2017 - 11:45 AM (IST)

नई दिल्‍ली: कारगिल युद्ध को लेकर एक अहम जानकारी सामने आई है। एक मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि कारगिल युद्ध एक एेसा समय था, जब भारतीय सेना के निशाने पर तत्‍कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ थे। लेकिन ये दोनों हमले में बाल-बाल बच गए। भारत सरकार के एक दस्‍तावेज से इस बात का खुलासा हुआ है। 


कारगिल युद्ध में ही मारे जाते शरीफ और मुशर्रफ
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, 24 जून 1999 को करीब सुबह 8.45 बजे जब युद्ध अपने चरम पर था। उस समय भारतीय वायु सेना के एक जगुआर ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के ऊपर उड़ान भरी, और निशाना साधा जो सीधे पाकिस्तानी सेना के एक अग्रिम ठिकाने पर था। जगुआर के इरादा “लेजर गाइडेड सिस्टम ” से बमबारी करने लिए टारगेट को चिह्नित करना था। उसके पीछे आ रहे दूसरे जगुआर को बमबारी करनी थी। लेकिन दूसरा जगुआर निशाना चूक गया और उसने “लेजर बॉस्केट” से बाहर बम गिराया जिससे पाकिस्तानी ठिकाना बच गया। खबर के मुताबिक, अगर दूसरा जगुआर सही निशाने पर लगता तो उसमें पाकिस्तान के पूर्व जनरल परवेज मुशर्रफ और मौजूदा पीएम नवाज शरीफ भी वहीं मारे जाते।


खबर के मुताबिक, भारत सरकार के दस्तावेज में कहा गया है कि “24 जून को जगुआर ACALDS ने प्वाइंट 4388 पर निशाना साधा था, इसमें पायलट ने LoC के पार गुलटेरी को लेजर बॉस्केट में चिह्नित किया था लेकिन बम निशाने पर नहीं लगा। “बाद में इस बात की पुष्टि हुई कि हमले के समय पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ उस समय गुलटेरी ठिकाने पर मौजूद थे।” हालांकि, बम गिराने से पहले इस बात की कोई भी खबर नहीं थी। हालांकि एक एयर कमाडर जो उस समय एक उड़ान में थे ने पायलट को बम न गिराने का निर्देश दिया जिसके बाद बम को एलओसी के निकट भारतीय इलाके में गिरा दिया गया।


उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच कारगिल युद्ध मई से जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए था। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने एलओसी पार करके भारत की जमीन पर कब्‍जा करने का प्रयास किया था, लेकिन पाक को मुंह की खानी पड़ी।
 


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