मोदी-ट्रंप बयान के बाद सैन्य दुस्साहस की सोच सकता है भारत : पाक

punjabkesari.in Thursday, Jun 29, 2017 - 07:37 PM (IST)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान को सीमा पार से होने वाले आतंकवाद पर लगाम लगाने की सलाह देने वाले भारत-अमेरिकी संयुक्त बयान की आलोचना करते हुए इस्लामाबाद ने कहा कि यह क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए मददगार साबित नहीं होगा और यह भारत को सैन्य दुस्साहस करने तथा दक्षिण एशिया में स्थाई शांति स्थापना के प्रयासों को नजरअंदाज करने को बढ़ावा देगा।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच वाशिंगटन में हुई बैठक ने क्षेत्र में स्थाई शांति के लिए भारत की नीतियों में बदलाव का दबाव बनाने का अवसर गंवा दिया। मंत्राालय ने कहा, यह बयान दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थाई शांति और रणनीतिक स्थिरता का लक्ष्य प्राप्त करने में बिल्कुल मददगार नहीं है। कल रात जारी बयान के अनुसार, क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता के मुख्य मामले पर कुछ नहीं बोलकर, बयान ने पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, और डी कंपनी सहित आतंकवादी समूहों के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की कसम ली और पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उसकी जमीन का प्रयोग अन्य देशों में आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिए ना हो।

दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक के बाद 26 जून को दोनों देशों ने एक-साथ पाकिस्तान से कहा कि वह 26/11 और पठानकोट हमलों तथा पाकिस्तान स्थित अन्य आतंकवादी समूहों द्वारा सीमा पार किए जाने वाले आतंकी हमलों के दोषियों के खिलाफ कार्वाई करे। ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत को गार्डियन ड्रोन और सी-17 मालवाहक विमान बेचने के फैसले का हवाला देते हुए इस्लामाबाद ने अपने बयान में पाकिस्तान ने भारत को अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी बेचे जाने पर चिंता जताई। उसका कहना है, एेसे सौदे से क्षेत्र में सैन्य असंतुलन बढ़ेगा और दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता कम होगी।

विदेश मंत्रालय का कहना है, यह भारत को आक्रामक सैन्य रुख अपनाने के लिए शह देगा। मंत्रालय ने कहा, आधुनिक सैन्य उपकरणों और तकनीकों का हस्तांतरण तथा बार-बार भारत को दी जाने वाली छूट उसे क्षेत्र में स्थाई शांति की बहाली के लिए प्रयास करने को प्रेरित नहीं करती है। बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान कश्मीर मामले की वैधता में विश्वास रखता है और कश्मीर के लोगों द्वारा स्व-निर्णय के अधिकार हेतु शांतिपूर्ण संघर्ष का समर्थन करता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कश्मीर के लोगों को यह अधिकार देने का वादा किया है। 


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