चीन में कैसे खेला जाता है सत्ता का दांव, जानें राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी खास बातें

punjabkesari.in Sunday, Oct 15, 2017 - 11:55 AM (IST)

बीजिंग: चीन में हर 5 साल में सत्ता का दांव खेला जाता है यानि सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस  में तय किया जाता है कि कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा। जिसके हाथ में कम्युनिस्ट पार्टी की कमान होती है, वो चीन के एक अरब 30 करोड़ लोगों पर शासन करता है। इसके साथ ही वो शख्स दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का संचालन करता है।

चीन में अगले सप्ताह होने वाली अहम कांग्रेस से पहले तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए आयोजित सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में राष्ट्रपति शी चिनपिग ने करीबी लोगों को शनिवार को पार्टी पदाधिकारी बनाया। राष्ट्रपति शी, जो पार्टी महासचिव भी हैं, ने बैठक के दौरान कार्य रिपोर्ट प्रस्तुत की।  18 अक्तूबर को हने वाली इस कांग्रेस  में शी के दूसरे कार्यकाल को अनुमोदन मिलने की उम्मीद है। 

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चुनाव में कांग्रेस की भूमिका
अक्तूबर के मध्य में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) देश भर से प्रतिनिधियों को नियुक्त करती है। इसके बाद बीजिंग के ग्रेट हॉल में बैठक होती है। पार्टी के 2,300 प्रतिनिधि हैं, हालांकि 2,287 प्रतिनिधि ही इस बैठक में शामिल होंगे। रिपोर्टों के मुताबिक़ 13 प्रतिनिधियों को अनुचित व्यवहार के कारण अयोग्य ठहरा दिया गया है।

शक्तिशाली सैंट्रल कमेटी करती हैचयन
बंद दरवाज़े के भीतर सीपीसी शक्तिशाली सैंट्रल कमेटी का चुनाव  करती है जिसमें  क़रीब 200 सदस्य होते हैं। यही कमेटी पोलित ब्यूरो का चयन करती है और पोलित ब्यूरो के ज़रिए स्थाई समिति का चयन किया जाता है। ये दोनों कमेटियां चीन में निर्णय लेने वाले असली निकाय हैं। पोलित ब्यूरो में अभी 24 सदस्य हैं जबकि स्टैंडिंग कमेटी के 7 सदस्य हैं। हालांकि सदस्यों की संख्या में आने वाले सालों में परिवर्तन होता रहता है। 

मतदान मात्र औपचारिकता
 इस दौरान होने वाला मतदान औपचारिक होता है,  क्योंकि असल में वर्तमान नेतृत्व में ज़्यादातर लोग पहले से ही तय होते हैं और कमेटी सिर्फ़ फ़रमानों का पालन करती है। सैंट्रल कमेटी पार्टी के शीर्ष नेता का भी चुनाव करती है जिसे कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव कहा जाता है। जो सीपीसी का महासचिव होता है वही देश का राष्ट्रपति बनता है। 

इस बार क्या है खास
19वीं कांग्रेस का ध्यान इस बार मुख्य रूप से दो चीज़ों पर है। पहला यह कि शी जिनपिंग अगले 5 सालों के लिए चीनी की नीति की दिशा को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करेंगे और विश्लेषक इस रिपोर्ट को परखेंगे। दूसरी बात यह है कि पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी  को पूरी तरह से बदलाव की उम्मीद है। विश्लेषकों का मानना है कि स्टैंडिंग कमेटी में बड़े फेरबदल से कुछ बड़ा नीतिगत बदलाव आ सकता है। हालांकि दुनिया के लिए चीन के रुख़ में कोई परिवर्तन नहीं आएगा। 

शी के फिर से चुने जाने पर स्थिरता बनी रहेगी। चीन में आर्थिक सुधार का कार्यक्रम अभी जारी है। इसमें शी का भ्रष्टाचार विरोधी अभियान और अधिनायकवादी शासन भी शामिल है। उम्मीद की जाती है कि कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में चीन के भविष्य के नए नेताओं को आगे किया जाता है। संभव है कि शी का कोई उत्तराधिकारी चुना जाए जो देश को अगले पांच सालों तक चलाएगा। हालांकि ऐसी अटकलें हैं कि शी इस बार परंपरा को तोड़ सकते हैं।


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