जिम्बाब्वे तख्तापलट के पीछे चीन का हाथ

punjabkesari.in Sunday, Nov 19, 2017 - 11:43 AM (IST)

हरारेः जिम्बाब्वे में सत्ताधारी पार्टी ने राष्ट्रपति रोबर्ट मुगाबे (93)को बर्खास्त करने का फैसले में  चीन की भूमिका भी सामने आई है। तख्तापलट से एक हफ्ते पहले जिम्बाब्वे के आर्मी चीफ चीन गए थे। इस दौरान वह चीन के रक्षा मंत्री से भी मिले। इस मुलाकात की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिसके बाद अटकलें लग रही हैं कि क्या चीन को तख्तापलट के बारे में पहले ही पता लग चुका था।

सूत्रों के अनुसार, जिम्बाब्वे के जनरल ने बुधवार को तख्तापलट करने की कोशिश से पहले चीन की मदद ली थी। अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में रात को सेना ने सरकारी मीडिया पर कब्जा करने के बाद राजधानी हरारे को भी अपने वश में कर लिया था, जिसके बाद जनरल कॉन्स्टेंटिनो चिवेंगा देश की कमान अपने हाथ में ले ली। ब्रिटेन का गुलाम रह चुका जिम्बाब्वे में पिछले कई सालों से चीन का प्रभाव बढ़ा है। ब्रिटेन में टेलेग्राफ न्यूजपेपर की मानें तो जिम्बाब्वे में तख्तापलट करने के लिए जनरल चिवेंगा को चीन ही उकसा सकता है।
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जिम्बाब्वे में राजनीतिक भूचाल से पहले जनरल चिवेंगा ने बीजिंग में चीन डिफेंस मिनिस्टरी से एक उच्च-स्तरीय बैठक की थी। हालांकि, चीन ने इस दौरे को 'रूटीन विजिट' बताया है। वहीं, विशेषज्ञों के अनुसार, चीन ने ही जनरल को कथित रूप से उकसाया है। जिम्बाब्वे में चीन सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होने के साथ-साथ सबसे ज्यादा निवेश करने वाला देश भी है। पिछले साल जिम्बाब्वे में चीन ने 4 बिलियन डॉलर का निवेश करने को कहा था।

गौरतलब है कि चीन जिम्बाब्वे का 1970 के दौर से ही अहम सहयोगी रहा है। जब पश्चिमी देशों ने जिम्बाब्वे पर प्रतिबंध लगाए तो चीन ने ही उसे सहारा दिया था। यहां तक कि मुगाबे  परिवार की हांगकांग में महंगी प्रॉपर्टी है। उनकी बेटी भी वहीं पढ़ती है। यहां तक कि उनकी पत्नी ग्रेस ने जब ब्रिटिश पत्रकार पर हांगकांग में हमला किया था तो उन्हें बिना किसी दिक्कत के बाहर जाने दिया गया था। 
 


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