इस देश में मिलती है ग्रैजुएट को 16 लाख सैलरी, भारतीयों के लिए भी जॉब पाने का मौका

punjabkesari.in Friday, Nov 17, 2017 - 03:17 PM (IST)

नई दिल्ली : हर कोई इंसान चाहता है कि जब भी अपनी कॉलेज की पढ़ाई खत्म करके अपना करियर शुरु करें तो उसे अच्छी सैलरी वाली जॉब मिली, लेकिन एेसा बहुत कम होता है इसलिए ना चाहते हुए भी लोगों को मन मार के कम सैलरी वाली जॉब भी करनी पड़ती है, लेकिन क्या आप जानते है कि एक देश एेसा भी है जहां ग्रैजुएशन करके निकलने वालों को 25 हजार डॉलर (16 लाख रुपए) की सलाना सैलरी मिल रही है। एक रिसर्च के मुताबिक जापान में ग्रेजुएशन करके निकलते ही करीब 2.13 लाख येन या 1885 डॉलर प्रतिमाह की सैलरी मिलती है, लेकिन जापान के लोगों के हिसाब से उनकी सैलरी बेहद कम है औऱ शायद यही वजह है कि वहां काम करने वाली कंपनियां अपने कर्मचारियों को 1.10 लाख येन या 63 हजार रुपए प्रतिमाह का अतिरिक्त भत्ता भी देती हैं।

भारतीयों के लिए भी मौका
मोदी सरकार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए  सरकार ने ऑन जॉब ट्रेनिंग के लिए 3 लाख युवाओं को जापान भेजने का फैसला किया है। सरकार की कौशल विकास योजना के तहत युवाओं को 3 से 5 साल के लिए जापान भेजा जाएगा । युवा जापान जाकर वहां की इंडस्ट्रीज के साथ काम करेंगे और नई टेक्नोलॉजी से वाकिफ होंगे। इसके लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इसका सारा खर्च जापान सरकार उठाएगी।

भारत जापान में समझौता
पिछले महीने कौशल विकास मंत्री प्रधान की जापान यात्रा के दौरान भारत और जापान के बीच टेक्निकल इंटर्न ट्रेनिंग प्रोग्राम (TITP) को लेकर मेमोरेंडम ऑफ कोऑपरेशन (MOC) पर दस्तखत भी हुए थे।TITP एक महत्वाकांक्षी प्रोग्राम है जिसके तहत 3 लाख भारतीय टेक्निकल इंटर्न को 3 से 5 साल के लिए जापान में ऑन जॉब ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले 3 सालों में इन युवाओं को जापान के वित्तीय सहयोग से ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा।

नौकरी भी मिलेगी
वहां जाने वाले हर युवा का कार्यकाल 3 से 5 साल होगा। यह लोग जापानी माहौल में काम करेंगे और वहां रहने-खाने की सुविधा के साथ रोजगार के मौके पाएंगे। उनमें से 50 हजार युवा जापान में नौकरी भी पा सकते हैं।

कैसे होगा चयन
जापान की जरूरतों के मुताबिक इन युवाओं का चयन पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। जब ये युवा जापान से लौटेंगे तो वह भारतीय इंडस्ट्री में योगदान देंगे। एक आधिकारिक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि इस समझौते से कौशल विकास के क्षेत्र में दोनों ही देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग का रास्ता साफ होने की उम्मीद है।


 


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