शिक्षकों के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिये चार उत्कृष्टता केंद्र खोलेगा टाटा ट्रस्ट

punjabkesari.in Thursday, Jun 22, 2017 - 05:12 PM (IST)

नई दिल्ली : शिक्षा के प्रसार और उसकी गुणवत्ता में सुधार की दिशा में काम कर रहा टाटा ट्रस्ट शिक्षकों के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए जल्दी ही चार उत्कृष्टता केंद्र सेंटर फार एक्सीलेंस इन टीचर एजुकेशन शुरू करेगा। इस केंद्र को टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस :टीआईएसएस: के साथ मिलकर शुरू किया जा रहा है और इसमें से एक केंद्र मुंबई स्थित टीआईएसएस परिसर में इस साल से काम करने लगेगा।  टाटा संस की इकाई टाटा ट्रस्ट शिक्षा के अलावा स्वास्थ्य शहरी गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण उत्थन जैसे क्षेत्रों में काम कर रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में ट्रस्ट फिलहाल उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, झारखंड, मिजोरम और आेडशिा समेत 11 राज्यों के 2,700 स्कूलों में काम कर रहा है। इसमें गुजरात, महाराष्ट्र, असम और तेलंगाना शामिल हैं। टाटा ट्रस्ट की शिक्षा इकाई की प्रमुख अमृता पटवर्द्धन ने  भाषा के साथ बातचीत में कहा, हम शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये शिक्षकों के शिक्षण- प्रशिक्षण के लिये चार उत्कृष्टता केंद्र खोलेंगे। इसमें एक केंद्र मुंबई में टीआईएसएस के साथ मिलकर स्थापित किया जा रहा है जो इस साल से काम करने लगेगा।

उन्होंने कहा, इसके अलावा अन्य तीन उत्कृष्ट शिक्षक शिक्षण केंद्र खोलने के बारे में जल्दी ही निर्णय किया जाएगा। ये केंद्र किन शहरों में खोले जाएंगे, इस बारे में इस वर्ष फैसला कर लिया जाएगा और ये केंद्र अगले साल 2018 से काम करने लगेंगे।  शिक्षकों के शिक्षण प्रशिक्षण के लिये स्थापित होने वाला उत्कृष्टता केंद्र इस पेशे को अपनाने में रूचि रखने तथा पहले से काम कर रहे शिक्षकों को प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगा। पहले से काम कर रहे शिक्षकों के लिये शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम जरूरतों के आकलन के आधार पर राज्य सरकार की भागीदारी के साथ किया जाएगा।  वहीं इस पेशे को अपनाने में रूचि रखने वाले उम्मीदवारों के लिये  नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन  के नियमों का अनुपालन किया जाएगा। इसमें बीएड और संबंधित पाठ्यक्रम में दाखिले के लिये जरूरी न्यूनतम योग्यता का अनुकरण किया जाएगा। साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर प्रवेश परीक्षा ली जाएगी।

देश में शिक्षा के रास्ते में क्षेत्रीय तथा आर्थिक विषमता की बाधा के बारे में पूछे जाने पर अमृता ने कहा, निश्चित रूप से शिक्षा की गुणवत्ता में अंतर काफी ज्यादा है। राष्ट्रीय नीति के स्तर पर शिक्षा के अधिकार में गुणवत्ता को परिभाषित किया गया है लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा। स्कूलों में दाखिलें में जरूर वृद्धि हुई है लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नदारद है। उन्होंने कहा,  टाटा ट्रस्ट इसे दूर करने के लिये शिक्षकों के प्रशिक्षण के साथ सामुदायिक स्तर पर भी काम कर रहा है। इसके तहत शिक्षक और अभिभावकों के बीच बेहतर तालमेल पर जोर दिया जा रहा है जो स्कूल के विकास के लिए जरूरी है।

कई जगह देखा गया है कि शिक्षकों तथा अभिभावकों का संगठन बना हुआ है लेकिन यह काम नहीं कर रहा, हम इसे ठीक करने की दिशा में काम कर रहे हैं। अमृता ने कहा, हम इस अंतर को पाटने के लिएप्रौद्योगिकी का भी उपयोग कर रहे हैं। टाटा ट्रस्ट कनेक्टेड लर्निंग इनीशिएटिव  :सीएलआईएक्स: ,शिक्षकों के प्रशिक्षण, महिला शिक्षा समेत विभिन्न पहल के जरिये इस अंतर को पाटने की कोशिश कर रहा है। सीएलआईएक्स के तहत टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टैक्नोलाजी और टाटा ट्रस्ट के बीच भागीदारी हुई है। इसके तहत 2015-18 के दौरान छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना के 1,100 स्कूलों तथा 165,000 छात्रों तक पहुंचना है। साथ ही 4,500 शिक्षकों के लिये पेशेवर विकास कार्यक्रम चलाना है।


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