नई भाषा बोलने में बेहतर होते हैं बहिर्मुखी लोग

punjabkesari.in Sunday, Jul 23, 2017 - 04:20 PM (IST)

नई दिल्ली : वैज्ञानिकों ने पाया है कि नई भाषा सीखने वाले बहिर्मुखी लोग उसे पढ़ने और बोलने के मामले में बेहतर हो सकते हैं, लेकिन सुनने के मामले में अंतर्मुखी लोग बेहतर होते हैं। पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय की भाषा विज्ञानी शहला जफर और उनके सहयोगियों ने अध्ययन किया कि भारत में आए चीनी छात्रों की अंतर्मुखी और बहिर्मुखी प्रवृत्तियां उनकी अंग्रेजी भाषा में दक्षता को कैसे प्रभावित करती हैं।  चीनी संस्कृति में छात्रों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने शिक्षकों की बात ध्यान से सुनेंगे जबकि पश्चिमी संस्कृति में छात्रों को क्लास में भागीदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कुछ अध्ययनों में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि इस तरह अंतर्मुखी होने से दूसरी भाषा के रूप में अंग्रेजी भाषा सीखने की चीनी छात्रों की क्षमता बाधित होती है।

बहरहाल, यह साफ नहीं है कि उन लोगों के बीच अंग्रेजी भाषा में दक्षता और अंतर्मुखी-बहिर्मुखी रूझानों के बीच क्या कोई रिश्ता है। मनोवैज्ञानिकों की दलील है कि अंतर्मुखी लोगों का ध्यान कम भटकता है और उनकी दूरगामी याद्दाश्त ज्यादा अच्छी होती है। इसके बरखिलाफ भाषा विज्ञानियों का दावा रहा है कि समाज में घुलना मिलना और खुलापन बहिर्मुखी लोगों को विदेशी भाषा सीखने में मदद करता है। अध्ययनकर्ताओं ने विल्लौर विश्चविद्यालय में पढ़ रहे 18 और 21 साल के 145 चीनी छात्रों के डेटा का विश्लेषण किया। यह छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत वहां पढ़ रहे हैं। उन्होंने पाया कि इन छात्रों में से ज्यादातर अंतर्मुखी (47 फीसद) थे जबकि 35 फीसद बहिर्मुखी थे। 18 फीसद में इन दोनों में से कोई प्रवृत्ति नहीं दिखी।

अध्ययनकर्ताओं के दल ने व्यक्तित्व के दोनों रूझानों और अंग्रेजी भाषा में दक्षता के बीच रिश्ते की पुष्टि की। बहिर्मुखी छात्रों को बोलने, पढऩे और समग्र भाषा दक्षता में ज्यादा नंबर आए। लिखने के मामले में दोनों समूहों में ज्यादा का फर्क नहीं था।  बहरहाल, अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि बहिर्मुखी लोगों के मुकाबले अंतर्मुखी लोग सुनने के मामले में बेहत बेहतर होते हैं। इससे उन दावों का खंडन होता है कि अकादमीय उत्कृष्टता बस बहिर्मुखी रूझाान पर आधारित होती है।


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