छोटा हरिद्वार: झील के पानी में सदा के लिए डूब जाएगा!

punjabkesari.in Wednesday, Sep 28, 2016 - 03:23 PM (IST)

मुक्तेश्वर महादेव धाम द्वापर युग में पांडवों द्वारा अपने वनवास के बारहवें वर्ष में स्थापित किया गया था। पांडव अपने प्रवास के क्रम में दसूहा जिला-होशियारपुर से होते हुए माता चिंतपूर्णी के दर्शन करते हुए आए तथा इस शांत एवं निर्जन स्थान को अपने निवास के लिए चुना।


मान्यता है कि वे इस स्थान पर करीब छ: मास तक रुके। पांडवों ने यहां पर पांच गुफाओं का निर्माण किया तथा एक रसोई घर भी बनाया। मुक्तेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित कर उनसे होने वाले संभावित युद्ध के लिए वरदान भी प्राप्त किया। रसोई घर को आज द्रौपदी की रसोई के नाम से जाना जाता है। समय के कालक्रम में एक गुफा आज बंद हो चुकी है।


पांडव अपने अज्ञातवास के प्रारंभ होने से पहले रावी नदी पार कर के विराट राज्य की सीमा में प्रवेश कर गए जिसका केंद्र आज जम्मू-कश्मीर के अखनूर में माना जाता है। मुक्तेश्वर महादेव का वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है। गुफा नं. 3 के ऊपरी भाग में चक्र अंकित है जिसके नीचे पांडव ध्यान, योग एवं क्रिया साधना किया करते थे।


प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि, चैत्र चतुर्दशी, बैसाखी एवं सोमवती अमावस्या को धाम परिसर में विशाल मेला लगता है। इस पावन अवसर पर स्नान एवं बाबा के दर्शन करने पर हरिद्वार के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। व्यक्ति यहां बैसाखी के अवसर पर अपने पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान करते हैं। इसीलिए मुक्तेश्वर धाम छोटा हरिद्वार के नाम से विख्यात है। लोग यहां अपने स्वजनों की अस्थियां भी प्रवाहित करते हैं।


पठानकोट से 25 किलोमीटर और शाहपुर कंडी से 2 किलोमीटर दूर इस पावन धाम को अब शाहपुर कंडी बराज प्रोजैक्ट से खतरा उत्पन्न हो गया है। शाहपुर कंडी का 206 मैगावाट के पावर प्लांट बनने से जो झील बनेगी वह इस अति प्राचीन एवं पांडवों द्वारा स्थापित धाम के अस्तिव को सदा के लिए समाप्त कर देगी क्योंकि झील के पानी से इसकी प्राचीन गुफाएं सदा के लिए पानी में डूब जाएंगी। 


मार्च 1995 में पंजाब सरकार ने एक नोटीफिकेशन के जरिए यह आदेश जारी किया था कि इस धाम की 22 कनाल भूमि का बैराज प्रोजैक्ट द्वारा अधिग्रहण नहीं किया जा सकता।


आज इसे डूबने से कैसे बचाया जाए इसके बारे में पंजाब सरकार एवं शाहपुर कंडी बैराज प्रशासन पूरी तरह चुप है। उन्होंने इसे बचाने के लिए अभी तक कोई ठोस नीति नहीं बनाई है।  इस धाम को आज एक दीवार बनाकर बचाया जा सकता है। अक्तूबर 2014 में और जून 2015 में जन रैली निकाल कर प्रशासन और सरकार को जनभावना से अवगत कराया गया था लेकिन अभी तक इसे बचाने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। 


जनता एवं श्रद्धालुओं की आस्था एवं उनके इसे बचाने की जबरदस्त मांग के बावजूद सरकार एवं शाहपुर कंडी बैराज प्रशासन ने अभी तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है जिससे लोगों मे रोष बढ़ रहा है। 


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