आप भी गुरु बनना चाहते हैं, एक क्लिक में जानें तरकीब

punjabkesari.in Friday, Sep 08, 2017 - 02:33 PM (IST)

दूसरों के सुख के साथ अपने सुख की तुलना हमेशा दुखी ही करेगी। दूसरों के कठिन परिश्रम पर भी हमारी नजर होनी चाहिए। हम लोग दुखी इसलिए नहीं होते कि हमारे जीवन में दुख होता है, हम लोग दुखी इसलिए होते हैं कि हमें दूसरों के जीवन में सुख दिखता है और मन में लोभ उठता है कि यह सब मेरे पास क्यों नहीं है। मेहनत से प्रेरणा लेने का भाव हमारे भीतर पैदा नहीं होता।


ऐसी ही एक बड़ी सुंदर कथा है। एक आश्रम में एक नवयुवक गया और गुरु से कहता है कि गुरु जी, मेरी बहुत इच्छा हो रही है कि मैं यहीं आश्रम में रहूं। इसलिए मैं यहां के नियम जानना चाहता हूं कि यहां कैसे रहते हैं, यहां क्या होता है। ये जो बाकी लोग हैं ये कौन हैं।


गुरु ने कहा, ‘‘ये सब मेरे शिष्य हैं, विद्यार्थी हैं और मैं इनका गुरु हूं । इनके गुरु होने के नाते कुछ कर्तव्य मेरे हैं, कुछ इनके हैं। तो अपने-अपने कर्तव्यों को सब पूरा कर रहे हैं।’’


नवयुवक ने कहा, ‘‘थोड़ा और विस्तार से बताएं कि आपका क्या काम होता है?’’ 


गुरु ने बताया, ‘‘मेरा काम है इनको मार्गदर्शन देना। मेरा काम है इनके साथ बैठना, इनकी समस्याओं को सुनना और उनको सुलझाना। और इनका काम है- जो कुछ मैं इनको कहूं वह करना। अगर मैं कहूं कि प्राणायाम करो तो करना। अगर मैं कहूं कि किसी अतिथि या आगंतुक की सेवा करो, तो सेवा करना। मैं इन्हें राह दिखाता हूं और ये उत्कर्ष के लिए उस पर काम करते हैं।’’


नवयुवक, ‘‘यह तो बहुत अच्छी जगह लगी। पर मैं आप से पूछना चाहता हूं कि क्या यहां मैं गुरु बनकर रह सकता हूं क्योंकि गुरु का काम तो सबसे सहज है। बैठो, बात करो, दर्शन दो, फूल लो, सेवा करवाओ, थोड़ी बात कर लो। बाकी सारा मोटा काम तो चेलों को करना पड़ता है।’’


गुरु ने जवाब दिया, ‘‘देखो, तुम निश्चित ही गुरु बनकर रह सकते हो, पर उसके लिए तुम्हें अपना आश्रम बनाना होगा। उसके लिए पहले खुद तुम जब विद्यार्थी से शिक्षक, शिक्षक से आचार्य, आचार्य से गुरु और ऐसे ही जब यह सारा क्रम पूरा कर लोगे, उस दिन तुम गुरु कहलाए जाओगे।’’


इस कहानी में यह छिपा है कि हम पहले ही दिन शिखर पर नहीं पहुंच सकते हैं। हर काम को कहीं से शुरू करना होता है। सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता, उसका रास्ता कठिन जगह से होकर गुजरता है। इसलिए दूसरों की सफलता में अपने लिए छुपे महत्वपूर्ण सूत्र ढूंढो। उनसे सीखो कि किस तरह आप भी एक-एक सीढ़ी चढ़कर सफलता तक पहुंच सकते हो। एकाएक कुछ भी पाने की इच्छा मत करो।


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