श्री राम को क्यों कहा जाता है मर्यादा पुरुषोत्तम, जानें नवमी तिथि का महत्व

punjabkesari.in Wednesday, Apr 05, 2017 - 08:58 AM (IST)

मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं, जिन्होंने त्रेता युग में रावण का संहार करने के लिए धरती पर अवतार लिया। कौशल्या नंदन प्रभु श्री राम अपने भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न से एक समान प्रेम करते थे। उन्होंने माता कैकेयी की 14 वर्ष वनवास की इच्छा को सहर्ष स्वीकार करते हुए पिता के दिए वचन को निभाया। उन्होंने ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाय’ का पालन किया।भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन्होंने कभी भी कहीं भी जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। माता-पिता और गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए वह ‘क्यों’ शब्द कभी मुख पर नहीं लाए। वह एक आदर्श पुत्र, शिष्य, भाई, पति, पिता और राजा बने, जिनके राज्य में प्रजा सुख-समृद्धि से परिपूर्ण थी।


केवट की ओर से गंगा पार करवाने पर भगवान ने उसे भवसागर से ही पार लगा दिया। राम सद्गुणों के भंडार हैं इसीलिए लोग उनके जीवन को अपना आदर्श मानते हैं। सर्वगुण सम्पन्न भगवान श्री राम असामान्य होते हुए भी आम ही बने रहे। युवराज बनने पर उनके चेहरे पर खुशी नहीं थी और वन जाते हुए भी उनके चेहरे पर कोई उदासी नहीं थी। वह चाहते तो एक बाण से ही समस्त सागर सुखा सकते थे लेकिन उन्होंने लोक-कल्याण को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए विनय भाव से समुद्र से मार्ग देने की विनती की। शबरी के भक्ति भाव से प्रसन्न होकर उसे ‘नवधा भक्ति’ प्रदान की।  वर्तमान युग में भगवान के आदर्शों को जीवन में अपना कर मनुष्य प्रत्येक क्षेत्र में सफलता पा सकता है। उनके आदर्श विश्वभर के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 


नवमी तिथि का महत्व  
भगवान का जन्म नवमी तिथि को हुआ जो अपने आप में ही पूर्ण है। अंकशास्त्र के तहत 9 का अंक सबसे बड़ा और पूर्ण है। यदि 9 के अंक को किसी भी अन्य एक अंक से गुणा करेंगे तो उसके गुणांक का जोड़ भी 9 ही होगा। 

9X1 = 9

9X2 = 18 (1+8 =9)

9X3 = 27 (2+7 =9)

9X4 = 36 (3+6 =9)

9X5 = 45 (4+5 =9)

9X6 = 54 (5+4 =9)

9X7 = 63 (6+3 =9)

9X8 = 72 (7+2 =9)

9X9 = 81 (8+1 =9)

9X10 = 90 (9+0 =9)


वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com


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