Holashtak: होलाष्टक को क्यों माना जाता है अशुभ, जानिए वैज्ञानिक और पौराणिक आधार

punjabkesari.in Monday, Feb 27, 2023 - 08:34 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Holashtak 2023: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को शास्त्रों में होलाष्टक कहा गया है। होलाष्टक शब्द दो शब्दों का संगम है। होली तथा आठ अर्थात 8 दिनों का पर्व। यह अवधि इस साल आज यानी 27 फरवरी, 2023 से शुरू होगी और 7 मार्च को पूर्णिमा होलिका दहन के दिन समाप्‍त होगी। वैसे तो होलाष्‍टक 8 दिनों का होता है लेकिन इस बार 9 दिनों तक चलेगा। इन दिनों में गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, विवाह संबंधी वार्तालाप, सगाई, विवाह, किसी नए कार्य, नींव आदि रखने, नया व्यवसाय आरंभ करने या किसी भी मांगलिक कार्य आदि का आरंभ शुभ नहीं माना जाता।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें  

What is the significance of Holashtak:
इसके पीछे ज्योतिषीय एवं पौराणिक दोनों ही कारण माने जाते हैं। एक मान्यता के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। इससे रुष्ट होकर उन्होंने प्रेम के देवता को फाल्गुन की अष्टमी तिथि के दिन ही भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव की आराधना की और कामदेव को पुनर्जीवित करने की याचना की जो उन्होंने स्वीकार कर ली। महादेव के इस निर्णय के बाद जन साधारण ने इस दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाया और होलाष्टक का अंत दुलहंडी को हो गया। इसी परंपरा के कारण यह 8 दिन शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने गए।

Is Holi an auspicious day: होलाष्टक के 8 दिन शुभ कार्य न करने के पीछे ज्योतिषीय कारण से अधिक वैज्ञानिक तर्क सम्मत तथा ग्राह्य है। ज्योतिष के अनुसार, अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल, तथा पूर्णिमा को राहू उग्र स्वभाव के हो जाते हैं। इन ग्रहों के निर्बल होने से मानव मस्तिष्क की निर्णय क्षमता क्षीण हो जाती है और इस दौरान गलत फैसले लिए जाने के कारण हानि होने की संभावना रहती है।

Holashtak: विज्ञान के अनुसार भी पूर्णिमा के दिन ज्वारभाटा, सुनामी जैसी आपदाएं आती रहती हैं या मनोरोगी व्यक्ति और उग्र हो जाता है। ऐसे में सही निर्णय नहीं हो पाता। जिनकी कुंडली में नीच राशि के चंद्रमा व वृृश्चिक राशि के जातक या चंद्र छठे या आठवें भाव में हैं, उन्हें इन दिनों अधिक सतर्क रहना चाहिए। मानव मस्तिष्क पूर्णिमा से 8 दिन पहले कहीं न कहीं क्षीण, दुखद, अवसाद पूर्ण, आशंकित तथा निर्बल हो जाता है। ये अष्ट ग्रह, दैनिक कार्यकलापों पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।

PunjabKesari kundli


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News