मरने के बाद हम कहां जाते हैं, जानें मृत्यु पश्चात का अंजाम

punjabkesari.in Tuesday, Sep 19, 2017 - 08:54 AM (IST)

जीवन में मनुष्य सोचता है कि मृत्यु के पश्चात वह कहां चला जाएगा और उसका क्या अंजाम होगा। मृत्यु का नाम ही आत्मा का शरीर से पृथक होना है। जिस समाज और वातावरण में मनुष्य जीवन व्यतीत करता है उसमें उसको बताया गया है कि आत्मा शरीर से निकल कर परमात्मा में विलीन हो जाती है और शरीर जो इस धरती पर पंचतत्वों द्वारा पला बड़ा तथा स्थित था इस धरती में समाविष्ट कर दिया जाता है, जलाकर या धरती में गाड़ कर, पानी में बहाकर या पशु-पक्षियों को खिलाकर। कुछ अन्य व्यक्तियों का सोचना है कि आत्मा शरीर से पृथक होने पर किसी अन्य योनि, शक्ल में इसी संसार में जन्म लेती है। यह आगामी जन्म, पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर होता है और यही आवागमन चलता रहता है जब तक कि आत्मा को मुक्ति प्राप्त न हो। मुक्ति प्राप्त होने पर उसका आवास स्वर्ग हो जाता है।


अधिकांश व्यक्तियों का मानना है कि मृत्यु के पश्चात आत्मा स्वर्ग या नरक में रहती है। ये स्वर्ग/ नरक उसको उसके संसारी जीवन के कर्मों के अनुसार प्राप्त होते हैं। वास्तविकता यह है जो ईश्वर के अंतिम उपदेश से स्पष्ट होती है कि जीवन एक बार मिलता है। मनुष्य के संसार में जन्म लेने से पूर्व आत्मा मां के पेट में भ्रूण में प्रवेश कर जाती है जो अमर है। आत्मा परमात्मा/ ईश्वर का उपदेश है जो कभी नष्ट नहीं होता। मृत्यु पश्चात आत्मा ईश्वर के अधीन विशेष स्थान पर विद्यमान रहती है परमात्मा में विलीन नहीं होती। आत्मा को शरीर सहित, उसके संसारी कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक में स्थान दिया जाएगा जो परलोक में मिलेगा।


परलोकी जीवन महाप्रलय (कयामत) पश्चात आरंभ होगा, जब समस्त मनुष्य एकत्र हो जाएंगे। परलोकी जीवन पाने से कोई आत्मा बच नहीं पाएगी। कुरान में फरमाया गया है, ‘‘कुल्ल मन अलैहा फान’’ अर्थात प्रत्येक वस्तु को, मनुष्य को, पहाड़ को मिटना है। महाप्रलय पश्चात दूसरा सुर फूंके जाने तक आत्मा शरीर से पृथक रहेगी। दूसरे सुर की आवाज सुनते ही मनुष्य के शरीर के अंग जो इस धरती पर पंचतत्वों में समाविष्ट एकत्रित हो जाएंगे और आत्मा को ग्रहण कर लेंगे। यह पुनर्जीवन होगा। इस जीवन में हर व्यक्ति, स्वस्थ हृष्ट-पुष्ट तथा आयु के लगभग 32-33 वर्ष में होगा। यहां एक बड़े मैदान में समस्त व्यक्तियों को जमा किया जाएगा और हर व्यक्ति से उसके संसारी जीवन के कर्मों का हिसाब लिया जाएगा। उसके जीवन का पूर्ण लेखा-जोखा ईश्वर के पास होगा। व्यक्ति को उसके कर्मानुसार उनमें स्थान दे दिया जाएगा। यह जीवन अमर होगा और अब यहां मौत नहीं होगी।


स्वर्ग में निवास कर रहे व्यक्ति मौज-मस्ती और शांति में होंगे वहां उनको वह सब प्राप्त होगा जिसकी उन्हें चाहत होगी। यहां ईश्वर के दर्शन भी होंगे जो एक बड़ी नियामत और सबसे बड़ी प्रशंसा का कारण होंगे। इसके विपरीत नरक के निवासी कई प्रकार की प्रताडऩाओं से पीड़ित होंगे। वहां अनेक दुख, कष्ट होंगे। खाने को कड़वी कसैली वस्तुएं,पीने को गर्म खौलता हुआ पानी, खून और पीप जैसी घिनौनी चीजें होंगी। लोग दुख भोगते हुए मरने की इच्छा करेंगे परंतु मौत नहीं आएगी और प्रताडऩा भुगतनी होगी। यह है मृत्यु पश्चात का अंजाम। जिससे किसी भी व्यक्ति को छुटकारा नहीं।


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