कंजक पूजन कब करें- 4 या 5 अप्रैल, पढ़ें शुभ समय

punjabkesari.in Monday, Apr 03, 2017 - 09:05 AM (IST)

चैत्र नवरात्रि का आरंभ 28 मार्च से हुआ था और नवरात्रि-पारणा 6 अप्रैल प्रात: 9 बजकर 16 मिनट पर होगी। वर्ष में 4 नवरात्र माने गए हैं जो 3-3 महीनों के अंतराल पर आते हैं। आश्विन तथा चैत्र नवरात्रों के अलावा आषाढ़ व पौष मास में भी नवरात्र होते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। ऋतु परिवर्तन के परिचायक ये चारों नवरात्र ,सूक्ष्म तथा चेतन जगत में आई तरंगों, भौगोलिक हलचलों आदि से मानव जीवन पर पड़ रहे प्रभाव आदि को बड़ी सूक्ष्मता से आकलन कर, मौसम के साथ बदलने का ज्ञान मानव को देते हैं कि किस तरह प्राकृतिक परिवर्तन के साथ-साथ शारीरिक परिवर्तन भी किया जा सके और प्रकृति के अनुसार जीवन शैली को बदला जाए। शरीर के नौ द्वारों-मुख, दो नेत्र, दो कान, दो नासिका, दो गुप्तेंद्रिय को नवरात्र के 9 दिनों में संयम, साधना, संकल्प, व्रत आदि से नियंत्रित किया जाता है। 


हमारे ऋषि-मुनियों ने अपनी दिव्य दृष्टि से यह निर्धारित किया था कि अमुक नक्षत्र, तिथि, वार और लग्न इत्यादि देखकर किसी भी काम को करना शुभ होता है। कारण उस शुभ बेला में वायु मंडल में ऐसी अदृश्य शक्तियां विद्यमान होती हैं जिसमें कोई भी शुभ काम करने से सफलता मिलती है 


4 अप्रैल मंगलवार को श्री दुर्गा अष्टमी व्रत, महा अष्टमी, कंजक पूजन एवं अशोक अष्टमी प्रात: 11 बजकर 21 मिनट तक है। इसके बाद  श्री राम नवमी, श्री दुर्गा नवमी, महानवमी, श्री राम जन्म महोत्सव (श्री राम अवतार जयंती), श्री राम जन्मभूमि परिक्रमा-दर्शन (अयोध्या जी), साईं बाबा जी का उत्सव (शिरडी, महाराष्ट्र), मेला बाहू फोर्ट-जम्मू, मेला माता श्री कांगड़ा देवी जी, श्री अन्नपूर्णा पूजन श्री राम नवमीं व्रत


5 अप्रैल बुधवार को चैत्र (वसंत) नवरात्रे समाप्त, नवमीं तिथि प्रात: 10 बजकर 4 मिनट तक, श्री दुर्गा नवमीं, मेला माता श्री मनसा देवी जी, दशमहाविद्या श्री महातारा (तारा) जयंती, मेला रामबन (जम्मू-कश्मीर), आचार्य श्री भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस (जैन पर्व)


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