जब सूर्यदेव भी शनि की भांति काले हो गए, पिता-पुत्र बन गए शत्रु

punjabkesari.in Sunday, May 21, 2017 - 02:21 PM (IST)

ज्योतिष के अनुसार शनि न्याय और मृत्यु के देवता हैं, जो धीमी चाल से चलते हैं। शनि का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हुआ था। सूर्य पुत्र शनि की जयंती इस बार 25 मई को मनाई जा रही है। स्कंद पुराण के अनुसार सूर्य का विवाह दक्ष कन्या संज्ञा से हुआ था, जो उनके तेज के सामने अधिक समय तक नहीं ठहर पाती थी। उनकी तीन संताने हुई जिनमें वैवस्वत मनु बड़े हैं, यम और यमुना जुड़वां थे। सूर्य की भीष्ण गर्मी को सहन करने की शक्ति प्राप्त करने की इच्छा से उसने तपस्या करने का निश्चय किया और जाने से पूर्व अपनी छाया को सूर्य के पास छोड़ा और स्वंय गुप्त रूप से तपस्या करने के लिए चली गई। उनकी अनुपस्थिति में छाया ही सूर्य के साथ रहने लगी और उन्होंने तीन संतानों अष्टम मनु, शनि और पुत्री भद्रा को जन्म दिया। शनि अपने परिवार में मध्यम थे।


शनि का रंग काला क्यों?
शिव भक्तिन छाया ने इनके जन्म से पूर्व भगवान की इतनी तपस्या की कि उन्हें अपने खाने-पीने का भी ध्यान नहीं रहता था। उन्होंने अपने आप को तप की अग्नि में इतना तपाया कि उनके गर्भ के बच्चे पर भी उनके तप का प्रभाव पड़ गया और गर्भ में शनि का रंग काला हो गया। शनि में जहां तपस्या का बल भरा हुआ था, वहीं उनकी सुंदरता कम हो गई, जिसे देख कर सूर्य देव भी हैरान हो गए। वह सोचने लगे कि मेरा बच्चा कांतिविहीन (काले रंग) कैसे हो सकता है। ऐसे में उन्हें छाया पर शक हो गया और उन्होंने उनका अपमान कर डाला। शनि से माता का अपमान देखा नहीं गया और उन्होंने गुस्से में पिता की ओर क्रूर दृष्टि से देखा तो पिता का रंग भी काला हो गया, सूर्य देव के घोड़ों की चाल रूक गई। जिससे रथ आगे नहीं चल पाया। परेशान होकर सूर्य देव भगवान शिवजी को पुकारने लगे। भगवान शिव ने सूर्य देव को सत्यता बताई ओर सूर्य ने अपनी गलती के लिए छाया से क्षमा मांगी। जिससे उन्हें पुन: सुंदर स्वरूप और घोड़ों को चाल प्राप्त हुई। तब से शनि देव पिता के विद्रोही, शिव के भक्त और माता के प्रिय हो गए। सूर्य पुत्र शनि को अपने ही पिता सूर्य का शत्रु भी माना जाता है।


वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com


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