जब कोई व्यक्ति पराजित होने लगता है, उसमें दिखने लगता है ये लक्षण

punjabkesari.in Thursday, May 18, 2017 - 12:27 PM (IST)

बहुत समय पहले की बात है आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ में निर्णायक थी-मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती। हार-जीत का निर्णय होना बाकी था, इसी बीच देवी भारती को किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिए बाहर जाना पड़ गया लेकिन जाने से पहले देवी भारती ने दोनों ही विद्वानों के गले में एक-एक फूल माला डालते हुए कहा, ये दोनों मालाएं मेरी अनुपस्थिति में आपकी हार और जीत का फैसला करेंगी।


यह कह कर देवी भारती वहां से चली गईं। शास्त्रार्थ की प्रक्रिया आगे चलती रही। कुछ देर पश्चात देवी भारती अपना कार्य पूरा करके लौट आईं। उन्होंने अपनी निर्णायक नजरों से शंकराचार्य और मंडन मिश्र को बारी-बारी से देखा और अपना निर्णय सुना दिया। उनके फैसले के अनुसार आदि शंकराचार्य विजयी घोषित किए गए और उनके पति मंडन मिश्र की पराजय हुई थी। सभी दर्शक हैरान हो गए कि बिना किसी आधार के इस विदुषी ने अपने पति को ही पराजित करार दे दिया। 


एक विद्वान ने देवी भारती से नम्रतापूर्वक जिज्ञासा की-हे!, ‘‘देवी आप तो शास्त्रार्थ के मध्य ही चली गई थीं फिर वापस लौटते ही आपने ऐसा फैसला कैसे दे दिया?’’ 


देवी भारती ने मुस्कराकर जवाब दिया,  ‘जब भी कोई विद्वान शास्त्रार्थ में पराजित होने लगता है और उसे जब हार की झलक दिखने लगती है तो इस वजह से वह क्रोधित हो उठता है और मेरे पति के गले की माला उनके क्रोध के ताप से सूख चुकी है जबकि शंकराचार्य जी की माला के फूल अभी भी पहले की भांति ताजे हैं। इससे ज्ञात होता है कि शंकराचार्य की विजय हुई है।’ 


विदुषी देवी भारती का फैसला सुनकर सभी दंग रह गए, सबने उनकी काफी प्रशंसा की। दोस्तो, क्रोध हमारी वो मनोदशा है जो हमारे विवेक को नष्ट कर देती है और जीत के नजदीक पहुंचकर भी जीत के सारे दरवाजे बंद कर देती है। क्रोध न सिर्फ हार का दरवाजा खोलता है बल्कि रिश्तों में दरार का भी प्रमुख कारण बन जाता है। लाख अच्छाइयां होने के बावजूद भी क्रोधित व्यक्ति के सारे फूल रूपी गुण उसके क्रोध की गर्मी से मुरझा जाते हैं। क्रोध पर विजय पाना आसान तो बिल्कुल नहीं है लेकिन उसे कम आसानी से किया जा सकता है इसलिए अपने क्रोध के मूल कारण को समझें और उसे सुधारने का प्रयत्न करें, आप पाएंगे कि स्वत: आपका क्रोध कम होता चला जाएगा।


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