विजया एकादशी: शुभ फलों में वृद्धि के साथ देगी जबरदस्त लाभ

punjabkesari.in Saturday, Feb 10, 2018 - 12:09 PM (IST)

रविवार दि॰ 11.02.18 फाल्गुन कृष्ण ग्यारस पर विजया एकादशी पर्व मनाया जाएगा। यह एकादशी अपने नाम के अनुरूप ही फल देती है। यह एकादशी विजय की प्राप्ति को सशक्त करती है। इस एकादशी के बारे में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठर को इसका महात्म व पौराणिक महत्व बताया समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं। कालांतर में ब्रह्मदेव ने देवर्षि नारद को श्रीराम की राम की कथा सुनते हुए कहा की यह एकादशी समस्त मनुष्यों को विजय प्रदान करती है। इसी क्रम लंका जाने हेतु समुद्र पार करना ज़रूरी था। इसी कारण श्रीराम वकदालभ्य ऋषि के पास गए। वकदालभ्य ऋषि ने श्रीराम को फाल्गुन कृष्ण एकादशी के व्रत का संकल्प दिलाया। जिसके कारण उन्होंने समुद्र पार कर रावण को हराकर लंका पर विजय प्राप्त की। इस दिन भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम स्वरूप के पूजन का विधान है। इस दिन श्रीहरि का संपूर्ण वस्तुओं से पूजन, नैवेद्य व आरती कर प्रसाद वितरण करके व ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इस एकादशी का पालन करने से व्यक्ति के शुभ फलों में वृद्धि होती है तथा अशुभता का नाश होता है। विजया एकादशी व्रत करने से साधक व्रत से संबन्धित मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है। 


विशेष पूजन विधि: भगवान नारायण का विधिवत पूजन करें। केसर मिले घी से दीप करें, गुलाब की अगरबत्ती करें, कुंकुम चढ़ाएं, लाल फूल चढ़ाएं, सेब की खीर का भोग लगाएं। एक दिन पूर्व तोड़े तुलसी पत्र पर शहद लगाकर समर्पित करें तथा इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद सेब की खीर किसी सुहागन को दान दें।


पूजन मुहूर्त: दिन 11:40 से दिन 12:40 तक।
पूजन मंत्र: ॐ पुराण-पुरुषोत्तमाय नमः॥


उपाय
अशुभता के नाश हेतु श्रीहरि पर चढ़ी शहद गाय को खिलाएं।


सभी कामनाओं की पूर्ति हेतु विष्णु मंदिर में 7 अंजीर चढ़ाएं। 


हर काम में विजय हेतु श्रीहरि के निमित केसर मिले घी के 11 दीपक करें।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

 


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