Narmada Jayanti 2021- आइए करें, श्री नर्मदा मन्दिर के दर्शन

punjabkesari.in Thursday, Feb 18, 2021 - 11:10 AM (IST)

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2021 Narmada Jayanti- विन्ध्य की पहाड़ियों में स्थित भारत के पर्यटन स्थलों में अमरकंटक प्रसिद्ध तीर्थ और नयनाभिराम पर्यटन स्थल है। यहां के खूबसूरत झरने, पवित्र तालाब, ऊंची पहाड़ियां और शान्त वातावरण सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। प्रकृति प्रेमी और धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को यह स्थान काफी पसंद आता है। यहां का वातावरण इतना सुरम्य है कि सिर्फ तीर्थयात्रियों का ही नहीं बल्कि प्रकृति प्रेमियों का भी यहां तांता लगा रहता है। चारों ओर से टीक और महुआ के पेड़ो से घिरे अमरकंटक से ही नर्मदा, सोन और जोहिला नदी निकली है। समुद्र तल से 1065 मीटर ऊंचे इस हरे-भरे स्थान पर मध्य भारत के विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियों का मेल होता है। नर्मदा नदी यहां से पश्चिम की तरफ और सोन नदी पूर्व दिशा में बहती है।

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What to see in Amarkantak- नर्मदा और सोन नदियों का यह उद्गम आदिकाल से ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहा है। नर्मदा का उद्गम कुण्ड सोनभद्रा के पर्वत शिखर से है। यहां जलेश्वर महादेव, सोनमुड़ा, भृगु कमण्डल, धूनी पानी, दुग्धधारा, नर्मदा का उद्गम, नर्मदा मन्दिर व कुण्ड, कपिलधारा, माई की बगिया, सर्वोदय जैन मन्दिर आदि स्थान देखने योग्य हैं।

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What is the history of Amarkantak- मध्यप्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा को हम युगों-युगों से पूजते आएं हैं। इस नदी के तट पर अनेक तीर्थ स्थल हैं। श्री नर्मदा मन्दिर का निर्माण कर्चुरी काल में लगभग 1082 ई. में हुआ। बाद में महारानी अहिल्या ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। श्री नर्मदा मन्दिर परिसर में 24 मन्दिरों का एक विशाल समूह निर्मित है। इसी मन्दिर में मां नर्मदा का उद्गम स्थल है।

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Amarkantak Travel and Tour Tourism Guide- प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण धार्मिक महत्त्व की प्राचीन नगरी होने के बावजूद अमरकंटक आज भी एक छोटा कस्बा ही है। जैसा इसका विकास होना चाहिए था वैसा हो ही नहीं पाया और जैसी चमक-दमक होनी चाहिए वह भी नहीं है। इसका एकमात्र कारण इस कस्बे की बसावट की वास्तु विपरीत भौगोलिक स्थिति है जो इस प्रकार है।

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 Sri Narmada Temple and vastu connection- नर्मदा मन्दिर में नर्मदा उद्गम स्थल नर्मदा कुण्ड से ईशान कोण की ओर लगभग 2 किलोमीटर दूर माई की बगिया है जहां चरणोदक कुण्ड है। इस दिशा में थोड़ा ढलान और निचाई भी है। यह दोनों अमरकंटक को प्रसिद्धि दिला रहे हैं। अमरकंटक की पश्चिम दिशा में पानी के कुण्ड बने हैं इसलिए अमरकंटक धार्मिकता के कारण प्रसिद्ध है। अमरकंटक और ओंमकारेश्वर नर्मदा परिक्रमा का प्रारम्भ और अन्तिम स्थान दोनों है। यह 3 वर्ष 3 माह और 13 दिनों में पूर्ण होने वाली यात्रा है, जिसे कुछ लोग 108 दिनों में भी पूरा कर लेते है। भक्तगण परिक्रमा करते समय नर्मदा को अपने दाहिने ओर रखते हैं।

अमरकंटक की पूर्व दिशा में पहाड़ियां हैं, जहां जैन मन्दिर हैं। पहाड़ियों की पश्चिमी तलहटी पर यह कस्बा बसा हुआ है। वास्तुशास्त्र के अनुसार यदि पूर्व दिशा में ऊंचाई हो तो धनागमन नहीं होता है। इस कस्बे की दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सूरजकुण्ड, नर्मदा कुण्ड, पुष्कर सरोवर, सावित्री सरोवर, कबीर कुण्ड इत्यादि बड़े-बड़े प्राकृतिक तालाब बने हुए है।

वास्तु विपरीत भौगोलिक स्थिति के कारण यहां व्यवसाय कम है इस कारण बाजार भी छोटा है। यहां आने वाले लोगों में धार्मिक आस्था रखने वाले लोग ज्यादा होते हैं। जिनकी खरीदारी करने की क्षमता कम ही होती है। जो भक्त यहां आते हैं उन्हीं से यहां के लोगों की जीविका चल रही है। इन्हीं वास्तु विपरीत भौगोलिक स्थिति के कारण ही भविष्य में भी अमरकंटक का विकास तुलनात्मक रूप से अन्य शहरों से कम ही रहेगा। यह कस्बे जैसा है और कस्बे जैसा ही बना रहेगा।

वास्तुगुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com

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Content Writer

Niyati Bhandari

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