लोहे को सोना बनाने का ये तरीका भर सकता है आपके भंडार, आजमाएं

punjabkesari.in Tuesday, Mar 07, 2017 - 11:21 AM (IST)

एक राजा ने किसी साधु को कुछ धन देना चाहा। साधु ने कहा कि किसी दीन को दे दो, मेरे पास तो परमात्मा का वह रसायन है जो लोहे को स्वर्ण बना देता है। यह सुनकर राजा अपने भंडार से काफी लोहा लेकर साधु के पास पहुंचे। कहने लगे, ‘‘मैं दीन हूं। मेरे लाए हुए इस लोहे को स्वर्ण बना दीजिए जिससे मेरे पास बहुत सारा सोने का भंडार हो जाएगा।’’ 


साधु ने कहा, ‘‘तुम नित्य आया करो, हम इस लोहे को स्वर्ण अवश्य बना देंगे।’’ 


साधु रोज उसे तत्वज्ञान बताते। उनका सत्संग सुनकर राजा भाव-विभोर हो जाता। धीर-धीरे अज्ञानता की ग्रंथियां टूटने लगीं। एक वर्ष बाद राजा को तत्वज्ञान हुआ तो उसका जीवन एकदम से परिवर्तित हो गया। ज्ञान का दीप प्रज्वलित हो उठा, वासनाएं नष्ट हो गईं। साधु ने अब उसको स्वर्ण बनाने के लिए लोहा लाने को कहा। राजा बोला, ‘‘भगवान, लोहा तो स्वर्ण बन चुका। अब कोई आवश्यकता नहीं रही।’’


सचमुच में जो मनुष्य तत्वज्ञान के सहारे नित्य सत्संग, सेवा में रत रहते हैं, वे संसार के नश्वर पदार्थों में आसक्त नहीं होते, सदा आनंद की अनुभूति से सरोबार रहते हैं। दरअसल मनुष्य लोहा है और सद्गुरु लोहार हैं। अनेक महापुरुष कहते रहे हैं कि मनुष्य रूपी लोहे को गुरु रूपी लोहार जिज्ञासा रूपी आग में डालकर गर्म करते हैं। जब वह लोहा एकदम लाल हो जाता है तो लोहार उसे ज्ञानरूपी निहाई के ऊपर रखकर सत्संग रूपी हथौड़े से मारना शुरू करता है।


हमें भी अपने जीवन में ऐसा सच्चा गुरु चाहिए जो हमारे लोहे जैसे जीवन को सोने में बदल दे। सच्चा गुरु लोहे रूपी मनुष्य को स्वर्ण बनाकर उसे दिव्य गुणों से ओत-प्रोत कर देते हैं। लोहे से स्वर्ण बनने के लिए ज्ञान ही एक ऐसी विधि है। ज्ञान है- अपने आपको जानना। सच्ची जिज्ञासा होना भी जरूरी है कि मैं कौन हूं, मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है, परमपिता परमात्मा तक कैसे पहुंचें, यह सब एक सच्चा गुरु ही बता सकता है। सच्चे गुरु की खोज में स्वयं को तैयार करना चाहिए।


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