इस तिथि पर खाई गई ये चीज कर सकती है धन का नाश, न खाएं ऐसा भोजन

punjabkesari.in Thursday, Jan 18, 2018 - 02:20 PM (IST)

शास्त्रों ने भोजन को लेकर बहुत सारे नियम निर्धारित किए हुए हैं। जो कोई प्रतिदिन पूरे संवत्-भर मौन रह कर भोजन करते हैं, वे हजारों-करोड़ों युगों तक स्वर्ग में पूजे जाते हैं अर्थात जो व्यक्ति संतोष के साथ जो मिले उसी पर संतुष्ट रहता है, उसे पृथ्वी पर ही स्वर्ग का सुख प्राप्त होता है। उसे न तो कोई दुख होता है और न ही कोई कष्ट। गीता में कहा गया है कि उत्तम मनुष्य को बासी, दूषित और मन को विचलित करने वाले आहार से बचना चाहिए। इसलिए पवित्र भोजन ग्रहण करें।


केश और कीड़ों से युक्त, जिस अन्न के प्रति दूषित भावना हो, कुत्ते द्वारा सूंघा हुआ, दोबारा पकाया गया, अनादरपूर्वक परोसा गया, बासी अन्न का त्याग कर देना चाहिए। (केशकीटावपन्नंच... कूर्मपुराण, उ. 17/26-29)


मतवाले, क्रुद्ध और रोगी के अन्न व केश, कीट से दूषित अन्न तथा इच्छापूर्वक पैर से छुए गए अन्न को कभी न खाएं। (मत्तकुद्धातुराणां च... मनुस्मृति 4/207)


गर्भहत्या करने वाले के देखे हुए, पक्षी से खाए हुए और कुत्ते से छुए हुए अन्न को नहीं खाना चाहिए। (भ्रूणघ्नावेक्षितं चैव...गौतमधर्मसूत्र... 1/8/90)


बाएं हाथ से लाया गया अथवा परोसा गया अन्न, बासी भात, शराब मिला हुआ, जूठा और घरवालों को न देकर अपने लिए बनाया हुआ अन्न खाने योग्य नहीं है। (वामहस्ताहृतं चान्नं... महाभारत, अनु 143/17)


उन्मत, क्रोधी और दुख से आतुर मनुष्य के अन्न का कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए। (मत्तक्रुद्धातुराणां...अग्रिपुराण 168/2)


शास्त्र कहते हैं इन तिथियों को ये चीजें न खाएं- प्रतिपत्सु च कुष्मांडमभक्ष्यमर्थनाशनम्...ब्रह्मवैवर्तपुराण, ब्रह्म, 27/29-34)


प्रतिपदा को कूष्मांड न खाएं क्योंकि उस दिन यह धन का नाश करने वाला होता है। 


द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) निषिद्ध है। तृतीया को परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती है। 


चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। 


पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। 


षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुंह में डालने से नीच योनि की प्राप्ति होती है। 


सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है। 


अष्टमी को नारियल फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। 


नवमी को लौकी न खाएं। दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। 


एकादशी को सेम खाने से पुत्र का नाश होता है। 


द्वादशी को पोई (पूतिका) खाने से पुत्र को परेशानी होती है।


त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि, रविवार, श्राद्ध और व्रत के दिन तिल का तेल निषिद्ध है।


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