कीमती है ये चीजें, संसार का कोई भी खजाना नहीं चुका सकता इसका मोल

punjabkesari.in Thursday, Aug 31, 2017 - 07:52 AM (IST)

लाहौर में लाहौरी और शाह आलमी दरवाजों के बाहर कभी एक बाग था। वहां एक फकीर था। उसके दोनों बाजू नहीं थे। उस बाग में मच्छर भी बहुत होते थे। एक व्यक्ति ने कई बार देखा उस फकीर को। आवाज देकर, माथा झुकाकर वह पैसा मांगता था। एक बार व्यक्ति ने उस फकीर से पूछा, ‘‘पैसे तो मांग लेते हो, रोटी कैसे खाते हो?’’


उसने बताया, ‘‘जब शाम उतर आती है तो उस नानबाई को पुकारता हूं, ‘‘ओ जुम्मा, आकर पैसे ले जा, रोटियां दे जा।’’ 


वह भीख के पैसे उठा ले जाता है, रोटियां दे जाता है।’’


व्यक्ति ने पूछा, ‘‘खाते कैसे हो बिना हाथों के?’’


वह बोला, ‘‘खुद तो खा नहीं सकता। आने-जाने वालों को आवाज देता हूं, ‘‘ओ जाने वालो, प्रभु तुम्हारे हाथ बनाए रखे, मेरे ऊपर दया करो। रोटी खिला दो मुझे, मेरे हाथ नहीं हैं। हर कोई सुनता नहीं लेकिन किसी-किसी को तरस आ जाता है। वह प्रभु का प्यारा मेरे पास आ बैठता है। ग्रास तोड़कर मेरे मुंह में डालता जाता है, मैं खा लेता हूं।’’ 


यह सुनकर व्यक्ति का दिल भर आया। उसने पूछ लिया, ‘‘पानी कैसे पीते हो?’’


फकीर ने बताया, ‘‘इस घड़े को टांग के सहारे झुका देता हूं तो प्याला भर जाता है। तब पशुओं की तरह झुककर पानी पी लेता हूं।’’


व्यक्ति ने कहा, ‘‘यहां मच्छर बहुत हैं। यदि माथे पर मच्छर लड़ जाए तो क्या करते हो?’’


वह बोला, ‘‘तब माथे को जमीन पर रगड़ता हूं। कहीं और मच्छर काट ले तो पानी से निकली मछली की तरह लोटता और तड़पता हूं।’’


हाय, केवल 2 हाथ न होने से कितनी दुर्गति होती है। अरे, इस शरीर की निंदा मत करो। यह तो अनमोल रत्न है। शरीर का हर अंग इतना कीमती है कि संसार का कोई भी खजाना उसका मोल नहीं चुका सकता परंतु यह भी तो सोचो कि यह शरीर मिला किस लिए है? इसका हर अंग उपयोगी है। इनका उपयोग करो। 


स्मरण रहे कि ये आंखें पापों को ढूंढने के लिए नहीं मिलीं। कान निंदा सुनने के लिए नहीं मिले। हाथ दूसरों का गला दबाने के लिए नहीं मिले। यह मन भी अहंकार में डूबने या मोह-माया में फंसने को नहीं मिला। 


 


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