ये छोटी-छोटी तांत्रिक क्रियाएं, आपके लिए धन-संपत्ति का द्वार खोलेंगी

punjabkesari.in Wednesday, May 17, 2017 - 08:11 AM (IST)

आज के भौतिक युग में धन-संपत्ति का बड़ा महत्व है। प्रत्येक व्यक्ति रात-दिन यही प्रयास करता है कि उसको किसी प्रकार धन-संपत्ति प्राप्त हो। धन के लाभ में वह अमानवीय और नीच कर्म तक कर डालता है परंतु संपत्ति सदा अच्छे कार्यों और परिश्रम से प्राप्त करनी चाहिए। अनेक प्रकार की विघ्न-बाधाएं भी राह में आती हैं। विघ्न-बाधाएं न आएं, रुकावटें न पड़ें तथा आपका शरीर पूर्णत: स्वस्थ व प्रसन्न रहे, अपने व्यवसाय में आप पूरी शक्ति के साथ निरंतर लगे रहें, इसके लिए तंत्र विधान (वैज्ञानिक हल) का समुचित ज्ञान अति आवश्यक है। ये छोटी-छोटी तांत्रिक क्रियाएं एकदम ही आपके लिए धन संपत्ति का द्वार खोलेंगी और आप अभीष्ट सफलता प्राप्त करेंगे। 


कल कारखाने : छोटे-बड़े सभी प्रकार के कल-कारखानों के मालिक, भागीदार शनिवार को काले तिल खाएं, उनका दान करें तथा शनि का जाप करें। ऐसा करने से समृद्धि आएगी और टूट-फूट भी कम होगी।


स्वतंत्र पेशा : डाक्टर, लेखक, वकील, वैज्ञानिक, दुकानदार जो भी कोई मस्तिष्क का कार्य कर अपनी प्रतिभा से संपत्ति का अर्जन करते हैं, वह सब हर बृहस्पतिवार को गणेश का पूजन करें और अपने व्यापार या कार्यस्थल पर ताम्रपत्र पर अंकित 15 का यंत्र स्थापित करें। निश्चय ही उनकी आय में वृद्धि होगी और वह कभी खाली न बैठेंगे।


नई शाखा : अपने कारोबार की किसी भी नई शाखा के उद्घाटन के अवसर पर वहां पर कहीं लाल रंग या हल्दी से रंगा कच्चा सूत जरूर बांध दें। ध्यान रखें यह बात गुप्त रहे।


मकान, जमीन, जायदाद : आप मकान, जमीन, जायदाद खरीदना चाहते हैं तो सोमवार के दिन प्रात:काल बिन ब्याई गाय के दर्शन-पूजन करें। संपत्ति सदैव शुभ रहेगी।


पैतृक संपत्ति : पैतृक संपत्ति पाने के लिए सफेद कौड़ी को पीसकर सोमवार के दिन जिसने संपत्ति का निर्णय करना है, उसके दरवाजे पर डाल दें। निर्णय आपके पक्ष में होगा।


व्यवसाय कार्य बंधन : आपने देखा होगा कि एक ही प्रकार के दो प्रतिष्ठान, दुकान या अन्य प्रतिष्ठान पास-पास होते हुए भी एक का व्यवसाय अच्छा चल रहा है, वहीं उसके पास वाले व्यापारी का पूरे दिन कुछ भी व्यापार नहीं होता। जहां लाभ होता था, वहां आज हानि हो रही है। जिस घर में कभी सुख-शांति रहती थी, वहां एकाएक लड़ाई-झगड़े, मार-पीट, रोग-शोक पनप जाते हैं। इन सभी का एकमात्र कारण है तांत्रिक प्रयोग। 


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