स्नान करते समय बोला गया ये मंत्र, देता है तीर्थ स्नान के बराबर फल

punjabkesari.in Wednesday, Nov 08, 2017 - 09:58 AM (IST)

तीर्थ स्थानों पर देवताओं का निवास माना जाता है। तीर्थ स्थानों पर जाना, पूजा करना और वहां के कुंड या नदी में स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का क्षय होकर पुण्य की प्राप्ति होती है। कई तीर्थों पर स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष भी मिलता है। सुबह सवेरे सूर्य उदय से पूर्व तारों की छाया में नहाने से अलक्ष्मी, परेशानियों और बुरी शक्तियों से मुक्ति पाई जा सकती है। स्नान करते समय गुरू मंत्र, स्तोत्र, कीर्तन, भजन या भगवान के नाम का जाप करें ऐसा करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है। धर्मशास्त्रों में बहुत सारे मंत्रों और महामंत्रों का वर्णन मिलता है। जिनके जाप से अभिष्ट फलों की प्राप्ति की जा सकती है। एक ऐसा मंत्र है, जिसका उच्चारण स्नान करते समय किया जाए तो तीर्थ स्नान के बराबर फल मिलता है। घर पर नहाकर भी तीर्थों का पुण्य अर्जित करने की इच्छा रखते हैं तो करें स्नान मंत्र का जाप। 


गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।


किस समय नहाने से मिलते हैं कौन से लाभ
ब्रह्म स्नान: जो लोग सुबह लगभग 4-5 बजे भगवान का नाम लेते हुए स्नान करते हैं उसे ब्रह्म स्नान कहते हैं। ऐसा स्नान करने से जीवन में सुख व खुशियों का समावेश होता है।


देव स्नान: सूर्योदय के उपरांत स्नान करने वाले विभिन्न नदियों के नामों का जाप करें ऐसा स्नान देव स्नान कहलाता है। ऐसे स्नान से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।


दानव स्नान: चाय अथवा भोजन करने के उपरांत स्नान करने को दानव स्नान कहा जाता है। जिससे की जीवन में घोर विपत्तियों का सामना करना पड़ता है।


यौगिक स्नान: योग के माध्यम से अपने इष्ट का चिंतन और ध्यान करते हुए जो स्नान किया जाता है वह यौगिक स्नान कहलाता है। यौगिक स्नान को आत्मतीर्थ भी कहा जाता है क्योंकि ऐसा स्नान तीर्थ यात्रा करने के समान होता है।


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