राम जन्मभूमि विवाद नहीं होगा कभी समाप्त!

punjabkesari.in Saturday, Apr 01, 2017 - 02:17 PM (IST)

राम जन्मभूमि परिसर में बाबरी मस्जिद के मलबे से बने टीले के ऊपर अस्थायी शेड में  वर्तमान में रामलला पूर्वमुखी विराजित हैं। यह स्थान अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण अयोध्या का सबसे ऊंचे स्थान पर है। अस्थायी शेड़ के सामने उत्तर एवं पूर्व दिशा में भूमि का ढलान सामान्य है, जबकि ठीक इस टीले के पीछे पश्चिम दिशा एवं नैऋत्य कोण में भूमि का कटाव एकदम खड़ा एवं काफी गहरा है। जब दर्शनार्थी अस्थायी शेड़ में विराजित रामलला के दर्शन करते हैं तो शेड़ के पीछे पश्चिम दिशा में ऐसा प्रतीत होता है जैसे वहां खाई हो। साथ ही शेड के पीछे पश्चिम दिशा में दुराही कुंआ भी है।


वास्तुशास्त्र के अनुसार, जहां पश्चिम दिशा में ढलान, गढ्ढे, कुंआ, तालाब अर्थात किसी भी रूप में निचाई हो तो ऐसे स्थान पर रहने वालों में दूसरों की तुलना में ज्यादा धार्मिकता रहती है। जिन घरों में पश्चिम दिशा में निचाई एवं पानी होता है उन घरों में रहने वाले जरूरत से ज्यादा धार्मिक होते हैं। नैऋत्य कोण का इतना तीखा ढलान अमंगलकारी होकर विनाश का कारण बनता है। दुनिया में जिन घरों में भी हत्याएं जैसी अनहोनी घटनाएं घटती हैं, उन घरों के नैऋत्य कोण में इस प्रकार के दोष अवश्य होते हैं।


राम जन्मभूमि परिसर में आने के दो मार्ग पूर्व दिशा से हैं। एक मार्ग जहां दर्शनार्थी रामलला के दर्शन के लिए रंगमहल बेरियर से होते हुए उत्तर ईशान से परिसर के अन्दर घुसते हैं और फिर परिसर की पूर्व दिशा में चलते हुए परिसर के पूर्व आग्नेय से ही अन्दर की ओर मुड़ते हैं। जहां आज-कल कतार में लगकर दर्शन करने के लिए बेरिकेट्स लगे हैं। दूसरा मार्ग अयोध्या नगरी के मुख्य मार्ग से परिसर में अन्दर आने का पुराना मार्ग है। जो इस परिसर के पूर्व आग्नेय भाग से टकराता है। आजकल इस मार्ग का उपयोग वी.आई.पी एवं पुलिस के वाहनों के आने-जाने के लिए किया जा रहा है। दर्शनार्थियों के बाहर जाने का रास्ता भी परिसर के पूर्व आग्नेय से ही है। 


तात्पर्य परिसर में आने-जाने के सभी रास्ते पूर्व आग्नेय से ही है। परिसर में पूर्व आग्नेय में प्रवेशद्वार होने के साथ-साथ परिसर को पुराने मार्ग से पूर्व आग्नेय का मार्ग प्रहार भी हो रहा है और इसी मार्ग के कारण जन्मभूमि परिसर की तार फैंसिंग से परिसर का पूर्व आग्नेय वाला भाग बढ़ भी गया है। वास्तुशास्त्र के अनुसार तार फैंसिंग भी चार दीवारी की तरह ही प्रभाव देती है। पूर्व आग्नेय के दोष ही विवाद और कलह के कारण बनते हैं। दुनिया में जहां भी विवाद होते हैं, चाहे छोटे हो या बड़े, वहां पूर्व आग्नेय में दोष अवश्य पाया जाता है। राम जन्मभूमि परिसर के पूर्व आग्नेय में उपरोक्त तीन दोष एक साथ होने के कारण ही विवाद इतना अधिक बढ़ गया है।


राम जन्मभूमि पर आपसी बातचीत तो क्या सुप्रीम कोर्ट भी दिलों को जोड़ने वाला सम्मानजनक समाधान निकाल दे तब भी जन्मभूमि परिसर के उपरोक्त वास्तुदोषों के कारण यह विवाद कभी सुलझ नहीं सकता।


वास्तु परामर्श- यदि इस विवाद को पूर्ण रूप से समाप्त करना है तो सरकार को चाहिए कि, वह राम जन्मभूमि परिसर के वास्तुदोषों को पहले दूर करें जैसे राम जन्मभूमि परिसर की पश्चिम दिशा एवं नैऋत्य कोण की निचाई को मिट्टी डालकर टीले के बराबर किया जाए और परिसर की इन दिशाओं में 8 से 10 फीट ऊंची कम्पाउण्ड वाल बनाई जाए। इसी के साथ पूर्व आग्नेय के मार्ग को समाप्त किया जाए एवं इस दिशा के सभी द्वार बंद कर इन्हें पूर्व ईशान की ओर स्थानान्तरित किया जाए तो निश्चित इस स्थान को लेकर जो विवाद सदियों से चल रहा है, वह पूर्णतः समाप्त हो जाएगा और देश में अमन-चैन आ सकेगा यह तय है।

 

वास्तुगुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com


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