मन व ज्ञान के स्वामी चंद्र देव, क्रोध से दिलाएंगे छुटकारा

punjabkesari.in Friday, Feb 16, 2018 - 08:10 AM (IST)

कल शनिवार दि॰ 17.02.18 को संध्या के समय फाल्गुन शुक्ल द्वितया पर चंद्र दर्शन पर्व मानकर पूजन किया जाना श्रेष्ठ रहेगा। द्वितीया तिथि चंद्रमा की दूसरी कला है। इस कला का अमृत कृष्ण पक्ष में स्वयं सूर्य पी कर स्वयं को ऊर्जावान रखते हैं व शुक्ल पक्ष में पुनः चंद्रमा को लौटा देते हैं। शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भगवान शंकर देवी गौरी के समीप होते हैं, अतः शिवपूजन, रुद्रभिषेक, पार्थिव पूजन व विशेष रूप से चंद्र दर्शन व पूजन अति शुभ रहता है। चंद्र दर्शन हर माह अमावस्या के बाद जब पहली बार चंद्रमा आकाश पर दिखता है उसे चंद्र दर्शन कहते है। शास्त्रनुसार इस समय चंद्र दर्शन करना अत्यंत फलदायक होता है। ज्योतिषशास्त्र अनुसार मन व ज्ञान के स्वामी चंद्र अनादि व अजेय हैं। महर्षि अत्रि व माता अनुसूया के पुत्र चंद्रमा का वर्ण गौर है। चंद्रदेव के वस्त्र, दस घोड़ों वाला रथ श्वेत रंग के हैं। इनके एक हाथ में गदा व दूसरे में वरमुद्रा में है। चंद्र सर्वमय व सोलह कलाओं से युक्त हैं। कुंडली में अशुभ चंद्रमा होने से मानसिक विकार, माता को कष्ट, धन हानि की सम्भावना रहती है। अतः दूज पर चंद्र दर्शन और विधिवत चंद्रदेव के पूजन से मनोविकार से मुक्ति मिलती है, आयाधिक क्रोध से छुटकारा मिलता है तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 


पूजन विधि: संध्या के समय चंद्रदेव का दशोपचार पूजन करें। गौघृत का दीपक करें, कर्पूर जलाकर धूप करें, सफेद फूल, चंदन, चावल, व इत्र चढ़ाएं, खीर का भोग लगाएं व पंचामृत से चंद्रमा को अर्घ्य दें तथा सफेद चंदन की माला से 108 बार इस विशिष्ट मंत्र जपें। पूजन के बाद भोग किसी स्त्री को भेंट करें।


उपाय
क्रोध से मुक्ति हेतु चंद्रदेव को तिल मिले जल से चंद्रमा को अर्घ्य दें।

सौभाग्य प्राप्ति हेतु चंद्रदेव पर चढ़ा चांदी का सिक्का तिजोरी में रखें।

मनोविकार से मुक्ति हेतु दूध में छाया देखकर चंद्रदेव को अर्घ्य दें।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News