चाणक्य नीति- केवल अपने लिए सोचने वाला राजा होता है पापी

punjabkesari.in Sunday, Feb 25, 2018 - 10:20 AM (IST)

चाणक्य द्वारा बताई गई नीतियों में सफल और सुखी जीवन के कई सूत्र बताए गए हैं। जो व्यक्ति इनकी नीतियों का पालन करता है वो निश्चित ही वह कई प्रकार की परेशानियों से बच सकता है। उन में से एक श्लोक में उन्होंने राजा के बारे में एक बात कही है। आईए जानें वो श्लोक-


श्लोक-
स्वजनं तर्पयिच्वा य: शंषभोजी सोऽमृतभोजीय

अर्थात- स्वजनों को तृप्त करके शेष भोजन से जो अपनी भूख शांत करता है, वह अमृत भोजी कहलाता है। जो राजा अपनी प्रजा की जरूरतों को पूरी करके अपनी जरूरतों को पूरी करता है वह उसी तरह है जैसे किसी ने अमृतपान कर लिया हो। जो राजा केवल अपने लिए ही सोचता है, वह पापी होता है।


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