Sunday को बन रहा है शुभ योग, धन और प्रसिद्धि बटोरने का है सुनहरी मौका

punjabkesari.in Saturday, Aug 19, 2017 - 02:18 PM (IST)

सभी 27 नक्षत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना जाने वाला "पुष्य", नक्षत्रों की श्रेणी में आठवां नक्षत्र है । पुष्य का अर्थ है पुष्टिकारक अर्थात पोषण करने वाला तथा ऊर्जा और शक्ति देने वाला। नक्षत्रराज पुष्य सभी नक्षत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पुष्य नक्षत्र में किया गया हर कार्य सर्वार्थ सफलता देता है। पुष्य नक्षत्र रविवार या गुरुवार को जब पड़ता है तब उसे रवि पुष्य योग अथवा गुरु पुष्य योग कहते हैं। रविवार दिनांक 20.08.17 को भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी को अतिउत्तम रवि पुष्य योग के साथ सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। रवि पुष्य व सर्वार्थसिद्धि योग रविवार दिनांक 20.08.17 को प्रातः सूर्योदय 05 बजकर 56 मिनट से लेकर शाम 17 बजकर 23 मिनट तक रहेंगे। 


परंतु रविवार दिनांक 20.08.17 को रवि पुष्य और सर्वार्थसिद्धि योग के साथ-साथ प्रातः 05:56 से लेकर शाम 15:22 तक भद्रा अर्थात विष्टि नामक अशुभ कारण रहने के कारण शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। शास्त्रों में भद्रा को अशुभ और वर्जित कहा गया है। इस दिन पड़ने वाली भद्रा का निवास मृत्युलीक अर्थात पृथ्वी पर रहेगा। परंतु भद्रा काल के पश्चात अर्थात रविवार दिनांक 20.08.17 को शाम 15:22 के बाद से लेकर शाम 17:23 तक रवि पुष्य व सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा जो की अति उत्तम माना जाएगा। रवि पुष्य नक्षत्र योग में खरीद-फरोख्‍त बहुत शुभ मानी जाती है। इस दौरान कि गई पूजा और उपाय सीधे आपके आराध्‍य तक पहुंचती है। धन और प्रसिद्धि बटोरने का है सुनहरी मौका करें ये विशिष्ट उपाय 


धन वृद्धि के लिए पंचधातु बाजार से खरीद कर भंडार घर में रखें। 


मान-सम्मान में वृद्धि के लिए लाल आभा लिए गाय को गुड़ खिलाएं।


स्थिर लक्ष्मी के लिए एकाक्षी नारियल खरीद कर पूजा घर में स्थापित करें।


दरिद्रता दूर करने के लिए मोरपंख का चंदोबा रवि-पुष्य नक्षत्र में काटकर अपने पर्स में रखें।


देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रवि पुष्य योग में मोती शंख में जल भरकर लक्ष्मी के चित्र का पूजन करें। 


व्यापारिक घाटे को दूर करने के लिए मोती शंख रवि पुष्य योग में विधिवत पूजन करके तिजोरी में स्थापित करें। 


आर्थिक उन्नति के लिए रवि पुष्य योग में मोती शंख को ऑफिस दुकान या कारखाने में विधिवत पूजन करके स्थापित करें।


वशीकरण करने के लिए रवि पुष्य योग में गूलर के फूल रूई में मिलाकर उस बत्ती को मक्खन से जलाकर काजल बना लें। इस काजल को अपने मस्तक पर लगाएं।

 
सम्मोहित करने के लिए रवि पुष्य योग में अनार के पंचांग में सफेद घुघची पीसकर मिश्रण बना लें और इस मिश्रण से तिलक लगाने से समस्त संसार वश में हो जाता है।


सूरज देव के सम्मुख बैठकर इन सूर्य मंत्रों का जाप करें। भगवान आदित्य नारायण का ताप सहना संभव न हो तो घर के भीतर या छाया में पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।


ऊं घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:


ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।


ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:


ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ


ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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