दुखों से परे रह कर शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं, बस अपनानी होगी ये तरकीब

punjabkesari.in Wednesday, Jun 28, 2017 - 10:38 AM (IST)

जैसे हर तरफ से समुद्र में जल के समाने पर भी समुद्र में कोई बदलाव नहीं आता, वैसे ही जो व्यक्ति इच्छाओं के लगातार आने से भी विचलित नहीं होता, उसे ही शांति प्राप्त होती है, इच्छाओं को पूरा करने में जुटे रहने वाले को नहीं। मन का अपना कुछ नहीं होता, यह काम तो हमारे आसपास का वातावरण करता है। वह हमारी इच्छाओं को जगाने और उसको बढ़ाने वाला होता है। जब मन को बाहर से कोई आनंद की चीज मिलती है, तब मन उसके प्रभाव में आ जाता है। साथ ही, जब दिमाग में कोई वासना उठती है तब भी मन उससे प्रभावित हो जाता है।


मतलब यह कि इच्छाएं मन में अंदर और बाहर दोनों ओर से आ ही रही हैं लेकिन जिसने मन को नियंत्रित किया है, वह उन इच्छाओं को पूरा करने के लिए उनके पीछे नहीं भागता। जो केवल मन को ही महत्व देते हैं और जो मन में आता है वही करते रहते हैं, ऐसे लोगों को मन में उठने वाली इच्छाएं लगातार अपने कब्जे में रखती हैं और उनके व उनके आसपास के लोगों के लिए दुखों का कारण बन जाती हैं। 


करीब से देखा जाए तो व्यक्ति के परेशान और दुखी होने का कारण उसकी अधूरी इच्छाएं ही हैं। इसलिए मन में आने वाली इच्छाओं को पूरा करने में नहीं लग जाना चाहिए, बल्कि मन के बहाव को शांत रखना चहिए। ऐसा करने से ही जीवन सुंदर बन सकता है।


जैसा कि पहले भी कहा है, ठीक समुद्र की तरह, जिसमें चारों ओर से कई तरह का पानी आकर मिलता रहता है लेकिन समुद्र पर उसका कोई असर नहीं पड़ता, ऐसे ही मन में आती इच्छाओं का असर भी हम पर नहीं पडऩा चाहिए। तभी हम दुखों से परे रह कर शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं।


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