महाशिवरात्रि: पूजन एवं व्रत विधि के साथ जानें किसकी कौन सी कामना होगी पूरी

punjabkesari.in Tuesday, Feb 21, 2017 - 09:18 AM (IST)

सभी प्रकार के पापों का नाश करने और समस्त सुखों की कामना के लिए महाशिवरात्रि व्रत करना श्रेष्ठ है। स्कन्द पुराण के अनुसार मनुष्य जिस कामना से इस व्रत को करता है वह अवश्य पूरी हो जाती है। पुरुष व्रत करें तो उन्हें धन-दौलत, यश एवं र्कीत प्राप्त होती है, महिलाएं सुख-सौभाग्य एवं संतान प्राप्त करती हैं, कुंवारी कन्याएं सुन्दर एवं सुयोग्य पति पाने की कामना से यह व्रत करती हैं। 


कैसे करें पूजन एवं व्रत :  श्री महाशिवरात्रि व्रत करने से भगवान शिव जितने प्रसन्न होते हैं उतना तो स्नान, वस्त्र, धूप, पुष्प और फलों के अर्पण करने से भी नहीं होते।  इसलिए इस दिन उपवास करना अति उत्तम कर्म है। व्रत से पूर्व भगवान शिव के व्रत करने का संकल्प करके रात्रि में शयन करना चाहिए तथा प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठ कर अपनी नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर नियमित रूप से भगवान का पूजन करते हुए उपवास रखना चाहिए। 


सारा दिन निराहार रहें। शाम से ही भगवान शिव की पूजा के लिए पूर्ण सामग्री तैयार करें। रात को भगवान शिव की चार प्रहर की पूजा बड़े भाव से करने का विधान है। प्रत्येक प्रहर की पूजा के पश्चात अगले प्रहर की पूजा में मंत्रों का जाप दोगुना, तीन गुना और चार गुना करें। 


भगवान शिव को दूध, दही, शहद, सफेद पुष्प, सफेद कमल पुष्पों के साथ ही भांग, धतूरा और बिल्व पत्र अति प्रिय हैं। पाप रहित होने के लिए करें इन मंत्रों का जाप-‘ ओम नम: शिवाय ‘, ‘ओम सद्योजाताय नम:’, ‘ओम वामदेवाय नम:’, ‘ओम अघोराय नम:’, ‘ओम ईशानाय नम:’, ‘ओम तत्पुरुषाय नम:’। अर्घ्य देने के लिए करें ‘गौरीवल्लभ देवेश, सर्पाय शशिशेखर, वर्षपापविशुद्धयर्थमध्र्यो मे गृह्यताम तत:’ मंत्र का जाप। 


रात को शिव चालीसा का पाठ करें। इसके अतिरिक्त पूजा की प्रत्येक वस्तु को भगवान को अर्पित करते समय उससे सम्बन्धित मंत्र का भी उच्चारण करें। प्रत्येक प्रहर की पूजा का सामान अलग से होना चाहिए। 


पूजा में क्या न चढ़ाएं : हल्दी और कुमकुम उत्पत्ति के प्रतीक हैं इसलिए पूजन में इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए। बिल्व पत्र के तीनों पत्ते पूरे होने चाहिएं, खंडित पत्र कभी न चढ़ाएं। चावल सफेद रंग के साबुत होने चाहिएं, टूटे हुए चावलों का पूजा में निषेध है। फूल बासी एवं मुरझाए हुए न हों।  

  
प्रस्तुति: वीना जोशी, जालंधर
veenajoshi23@gmail.com


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