संतोष व निरंतर कर्म से ही मन में जागेगा आत्मविश्वास

punjabkesari.in Thursday, Mar 08, 2018 - 10:12 AM (IST)

संसार में तनाव और डिप्रैशन महामारी की तरह लोगों को अपने चंगुल में फंसाए हुए हैं। विज्ञान आविष्कारों से मनुष्य के जीवन में बेहतरी लाने की कोशिश करता है पर मन से जुड़ी अस्वस्थताओं से छुटकारा नहीं दिला पाता है क्योंकि जो समस्या इंसान खुद खड़ी करता है, उसका हल कोई और नहीं दे सकता। 

रही बात ईर्ष्या, क्रोध, नफरत, तुलना जैसे नकारात्मक भावों को दूर रखने की, तो वह इसलिए संभव नहीं है कि जो होड़ बच्चे से बड़े सबके मन को काबू में किए हुए है उसके चलते यह हो ही नहीं सकता। 


तुलना जीवन के लिए ऐसी चुनौती रखती है जो कभी-कभी ङ्क्षहसात्मक रूप ले लेती है। इंसान जिससे हारता है उसे नुक्सान पहुंचाता है या खुद को मिटा देता है। तुलना को हवा देता है सोशल मीडिया। कोई अनजान व्यक्ति हो या पहचान वाला, व्यक्ति उसके जीवन स्तर की तस्वीरें देखकर, उसके बच्चों की सफलता के बारे में पढ़कर ईष्र्या के अलावा असुरक्षा भी महसूस करता है। 


ऐसा व्यक्ति अपनी ही नहीं, अपने परिवार की भी सुख-शांति छीन लेता है। आज सोशल मीडिया नित नए रूपों से लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर रहा है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार युवा वर्ग इस पर व्यस्त रहता है, पर वास्तविकता यह है कि बच्चे, बूढ़े सभी इसके किसी न किसी रूप से गहरे जुड़े हैं।


पर सोशल मीडिया में इस हद तक रम जाना कि यथार्थ से दूर हो जाएं, उनमें उन इच्छाओं को जगाएगा जो पूरी नहीं हो सकतीं। हो सकता है कि जो इससे प्रभावित होकर अपने जीवन को अधूरा समझता हो, उसका जीवन उस सुंदर तस्वीर से कहीं बेहतर हो। सफल दिखने वाले किस दौर से गुजरे होंगे, यह कोई नहीं जान पाता। अपने अंदर संतोष और निरंतर कर्म से आत्मविश्वास आएगा।

खुद को ‘लाइक’ करें, दूसरों की गिनती बेकार है। होड़ को सफलता का माध्यम न बनाएं।


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