शुक्रवार को चांद का दीदार होने तक रहें मौन, धन से जुड़ी हर समस्या होगी गौण

punjabkesari.in Thursday, Aug 10, 2017 - 09:11 AM (IST)

11 अगस्त शुक्रवार महालक्ष्मी के प्रिय दिन पर संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत और बहुला चतुर्थी व्रत का शुभ संयोग पड़ रहा है। यह दोनों पर्व श्री गणेश को समर्पित हैं। लक्ष्मी जी गणेश जी को अपना पुत्र मानती हैं तभी तो दोनों का पूजन एक साथ होता है। अत: इस विशेष उपाय को करने से धन संबंधित सभी इच्छाओं को पूरा किया जा सकता है। सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। इस पूजन और उपाय से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। संतान के सुखों में वृद्धि होती है। घर-परिवार में लक्ष्मी, सुख और शांति विद्यमान होती है।


चन्द्रमा के उदय होने पर उन्हें अर्घ्य दें। चंद्रमा रात 9 बज कर 43 मिनट पर उदय होगा। शंख में दूध, सुपारी, गंध तथा चावल से भगवान श्री गणेश और चतुर्थी तिथि को भी अर्घ्य दें। जौ तथा सत्तू का भोग लगाएं तथा पूजन से निवृत होकर भोग प्रसाद का ही भोजन करें। आज चंद्र उदय होने तक हो सके तो मौन व्रत रखें या जितना हो सके कम बोलें।


उपाय और पूजन विधि: सुबह के समय दैनिक कृत से निवृत्त होकर हाथ में गंध, चावल, पुष्प, दूर्वा, द्रव्य, पुंगीफल और जल लेकर विधिवत नाम गोत्र वंशादि का उच्चारण कर संकल्प लें। शास्त्रों के अनुसार इस दिन विशेषतः गाय के दूध पर बछड़े का अधिकार होता है। इस दिन गाय के दूध से बनी हुई कोई भी सामग्री नहीं खाएं। आज उपवास रखकर मिट्टी से बने शेर और गाय और बछड़े की पूजा करें। बहुला चतुर्थी में शेर बनकर बहुला नामक गाय की परीक्षा लेने वाले भगवान कृष्ण की कथा सुनें। संध्या के समय गणपति, गौरी, भगवान शंकर और श्रीकृष्ण एवं बछड़े के साथ गाय का पंचो उपचार पूजन करें। दूर्वा से पानी में चित्रों पर पानी के छींटे मारे। तिल के तेल का दीपक जलाएं। चंदन की धूप जलाएं। चंदन का तिलक अर्पित करें। पीले फूल अर्पित करें। गुड़ और चने के भोग लगाएं। इसके उपरांत चावल, फूल, दूर्वा, रोली, सुपारी और दक्षिणा दोनों हाथों में लेकर भगवान श्रीकृष्ण और गाय की इस श्लोक के साथ वंदना करें।


श्लोक: कृष्णाय वासुदेवाय गोविन्दाय नमो नमः।। त्वं माता सर्वदेवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्। त्वं तीर्थं सर्वतीर्थानां नमस्तेऽस्तु सदानघे।।


पूजन के बाद मिट्टी से बने शेर और गाय और बछड़े पर चावल, फूल, दूर्वा, रोली, सुपारी और दक्षिणा चढ़ा दें तथा निम्न मंत्र का तुलसी की माला से जाप करें।


मंत्र: याः पालयन्त्यनाथांश्च परपुत्रान् स्वपुत्रवत्। ता धन्यास्ताः कृतार्थश्च तास्त्रियो लोकमातरः।। 

 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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