राहू-केतु बदल रहे हैं अपनी चाल, इनके प्रभाव से बचने के लिए रखें ध्यान

punjabkesari.in Wednesday, Aug 16, 2017 - 05:39 PM (IST)

राहू व केतु का 17 अगस्त को होने वाला राशि परिवर्तन समूचे ब्रह्मांड को प्रभावित करेगा। 18 महीनों के बाद दोनों ग्रह राशि बदलने जा रहे हैं तथा अब राहू 17 अगस्त को कर्क व केतु मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। 


ज्योतिष संजय चौधरी के अनुसार राहू व केतु, जिन्हें अशुभ ग्रहों की सूची में रखा जाता है, वे मानवीय जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं। चाहे राहू व केतु का कोई अस्तित्व नहीं है परन्तु दोनों छाया ग्रह पूर्व जीवन के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। राहू व केतु हमेशा वक्री अवस्था में चलते हैं। राहू भौतिक वस्तुओं व लाभों जैसे धन व ऐश्वर्यशाली वस्तुओं के प्रति रुचि बढ़ाता है तो केतु आध्यात्मिक की तरफ ले जाता है। केतु के प्रभाव से मनुष्य का मन धार्मिक क्रिया-कलापों की तरफ बढ़ता है। उन्होंने कहा कि हिंदू मत के अनुसार केतु जैमिनी गोत्र तथा राहू पैतीनसा गोत्र से संबंध रखते हैं, इसलिए दोनों ग्रहों की विशेषताएं एक-दूसरे से भिन्न हैं। केतु छाया ग्रह है तथा इसका मानव तथा सारी सृष्टि पर असर पड़ता है। 


उन्होंने बताया कि नाड़ी शास्त्र के अनुसार राहू-केतु का राशि परिवर्तन एक महत्वपूर्ण घटना है। दोनों ग्रहों का गोचर लग्न से देखना अधिक श्रेष्ठकर रहता है। मेष राशि के लिए राहू का लग्न से चौथे भाव में संचार माता के लिए कष्टकारी तथा केतु का 10वें घर में आना कार्य क्षेत्र अहम परिवर्तनों को दर्शाता है। वृष राशि में राहू का तीसरे घर में संचार अचानक यात्रा योजनाओं को स्थगित करवाने तथा केतु का 9वें घर में आना व्यक्ति की धार्मिक आकांक्षाओं को बढ़ाता है। मिथुन लग्न के लिए राहू का दूसरे घर में आना परिवार में झगड़ों को बढ़ाने तथा केतु का 8वें घर में आना शरीर के निचले भागों में पीड़ा का कारक बनता है। 


कर्क लग्न में राहू का लग्न संचार व्यक्ति के व्यवहार में अचानक परिवर्तन लाता है तो केतु का 7वें घर में संचार पारिवारिक जीवन में परिवर्तन दिलाता है। सिंह लग्न के राहू का 12वें घर में संचार अचानक खर्चों को बढ़ाता है तो केतु का छठे घर में आना कानूनी मामलों में सफलता दिलाने वाला होता है। कन्या राशि के लिए राहू का 11वें घर में संचार वित्तीय बाधाओं को बढ़ाने वाला तथा केतु का 5वें घर में संचार बच्चों से संबंधित मानसिक परेशानियों को बढ़ाता है। तुला लग्न के लिए राहू का 10वें घर में आना कार्य क्षेत्र में बाधाओं को बढ़ाने तथा केतु का चौथे घर में संचार आवास क्षेत्र में परिवर्तन करवाता है। वृश्चिक लग्न में राहू 9वें घर में परिवार में बुजुर्गों के लिए समस्याएं बढ़ाने तथा केतु का तीसरे घर में आना अचानक विदेशी स्थानों की तरफ यात्रा का द्योतक है। 
धनु लग्न में राहू का 8वें घर में प्रवेश ऋणों व पीड़ा को बढ़ाने वाला तथा केतु का दूसरे घर में आना इंसान की खाने की आदतों में परिवर्तन लाता है। मकर लग्न के लिए राहू का 7वें घर में आना वैवाहिक समस्याओं को बढ़ाने तथा केतु का लग्न में संचार इंसान की धार्मिक विचार धाराओं को बढ़ाता है।


कुंभ राशि में राहू का छठे घर में आना अचानक बीमारी को बढ़ावा देता है तो केतु का 12वें घर में आना बुरे स्वप्रों को बुलावा देता है। मीन लग्न में राहू का 5वें घर में आना बीमारी को बढ़ाने के साथ-साथ अध्ययन कार्य में विघ्न व केतु का 11वें घर में आना अचानक लाभ प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि उक्त राहू-केतु के गोचर को बृहस्पति तथा शनि की जन्मकुंडलियों में स्थिति भी प्रभावित करती है। राहू-केतु के बुरे प्रभावों से बचने के लिए शनिवार को सात्विक रहने तथा हनुमान जी को लाल फूल व मिठाई चढ़ाने से राहत मिलती है। 


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