पद्म पुराण: माता सर्वतीर्थ मई व पिता सम्पूर्ण देवताओं का है स्वरूप

punjabkesari.in Tuesday, Feb 27, 2018 - 03:56 PM (IST)

महर्षि वेदव्यास द्वारा संस्कृत भाषा में रचित 18 पुराणों में से एक ‘पद्म पुराण’ है, जिसे ग्रंथ कहा जाता है। समस्त अठारह पुराणों की गणना में यह पुराण द्वितीय स्थान पर है और श्लोक संख्या में भी इसे दूसरा स्थान प्राप्त है। 

पद्म का अर्थ है- ‘कमल का पुष्प’। चूंकि सृष्टि-रचयिता ब्रह्माजी ने भगवान नारायण के नाभि-कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पद्म पुराण की संज्ञा दी गई है।

श्लोक-
पद्मपुराण सृष्टिखंड (47/11) में कहा गया है-


सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमय: पिता। 
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।। 


अर्थात: माता सर्वतीर्थ मयी और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप हैं इसलिए सभी प्रकार से यत्नपूर्वक माता-पिता का पूजन करना चाहिए। जो माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है, उसके द्वारा सातों द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। माता-पिता अपनी संतान के लिए जो क्लेश सहन करते हैं, उसके बदले पुत्र यदि सौ वर्ष माता-पिता की सेवा करे, तब भी वह इनसे उऋण नहीं हो सकता।


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