शुक्रवार को लक्ष्मी पर ये चीज चढ़ाएं, फकीर से अमीर बन जाएं

punjabkesari.in Thursday, Oct 26, 2017 - 02:15 PM (IST)

इत्र का मूल हैं फूल, पंच तत्वों में से आकाश को संबोधित करते हैं। फूलों को शुक्र का ही प्रतीक माना गया है। फूल हमेशा ऊपर की ओर उठे हुए होते हैं, आकाश की ओर देखते नजर आते हैं। देवी-देवताओं पर सीधे फूल अर्पित किए जाते हैं केवल शिवलिंग पर ऊल्टा फूल अर्पित करते हैं। फूल को जब लक्ष्मी पर चढ़ाते हैं तो वह बहुत प्रसन्न होती हैं। सनातन संस्कृति की पूजन प्रणाली में पंचोपचार पूजन को विशेष महत्व दिया जाता है। जिसके बिना हर देव उपासना अधूरी मानी जाती है। इस पूजन में ब्रह्मांड के पंच तत्व समाहित होते हैं। दीपक से अग्नि, धूप से वायु, गंध से जल, नेवैद्य से पृथ्वी और पुष्प से आकाश तत्व को समाहित किया जाता है। आकाश तत्व को संबोधित करता हुआ फूल देवी-देवताओं के निवास को इंगित करता है। 


इन्हीं फूलों के निचोड़ से इत्र बनता है। यही इत्र लक्ष्मी को सर्वाधिक प्रिय है। शास्त्रों में लक्ष्मी को कमलवासिनी और सुगंधा भी कहा गया है। अत: लक्ष्मी ही पुष्पों में निवास करती हैं। इत्र का मूल अमृत कहलाता है। कर्म से भाग्य बनता-बिगड़ता है किंतु कभी-कभी कई ऐसी भी बातें होती हैं जिनसे भाग्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भाग्य ‘सोने’ की तरह है जिस प्रकार सोने में स्वयं चमक होती है किंतु उसे चमकाने के लिए अनेक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है उसी प्रकार भाग्य को चमकाने में भी इत्र का प्रयोग किया जाता है। अपनी इच्छा अनुसार देवी लक्ष्मी पर इत्र अर्पित करने से हर कामना पूर्ण होती है।


फकीर से अमीर बनने के लिए मोगरे का इत्र चढ़ाएं।


कामसुख की प्राप्ति के लिए गुलाब का इत्र चढ़ाएं।


केवड़े का इत्र देवी लक्ष्मी को भेंट करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।


चंदन से सौभाग्य में बढ़ौत्तरी होती है। 


शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले शुक्रवार को लक्ष्मी मंदिर में इत्र और सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें। दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ेगा और घर में लक्ष्मी कृपा बनी रहेगी।


धन व ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए श्री सुक्त से महालक्ष्मी को इत्र चढ़ाएं। प्रतिदिन इस इत्र को लगाकर घर से निकले, कार्य व्यवसाय में वृद्धि होगी। 


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