नवरात्र: शेरावाली मां के पास कैसे आए अस्त्र-शस्त्र, जानें और भी रहस्य

punjabkesari.in Monday, Sep 25, 2017 - 08:55 AM (IST)

जिस काम को और कोई सम्पन्न नहीं करता,  उसे सर्वशक्ति सम्पन्न देवी दुर्गा कर सकती हैं। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी की संरचना तमाम देवी-देवताओं की संचित शक्ति द्वारा हुई है। जिस तरह तमाम नदियों के संचित जल से समुद्र बनता है उसी तरह भगवती दुर्गा विभिन्न देवी-देवताओं के शक्ति समर्थन से महान बनी हैं। इस आद्याशक्ति को शिव ने त्रिशूल, विष्णु ने चक्र, वरुण ने शंख, अग्रि ने शक्ति, वायु ने धनुष-बाण, इंद्र ने वज्र और यमराज ने गदा देकर अजेय बनाया। दूसरे देवताओं ने मां दुर्गा को उपहार स्वरूप हार चूड़ामणि, कुंडल, कंगन, नुपूर, कंठहार आदि तमाम आभूषण दिए। हिमालय ने विभिन्न रत्न और वाहन के रूप में सिंह भेंट किया।

शंख : दुर्गा मां के हाथ में शंख प्रणव का या रहस्यवादी शब्द ‘ओम’ का प्रतीक है जो स्वयं भगवान को उनके हाथों में ध्वनि के रूप में होने का संकेत करता है।

धनुष-बाण : धनुण-बाण ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं। दुर्गा मां के एक ही हाथ में इन दोनों का होना इस बात का संकेत है कि मां ने ऊर्जा के सभी पहलुओं एवं गतिज क्षमता पर नियंत्रण प्राप्त किया हुआ है।

बिजली और वज्र : ये दोनों दृढ़ता के प्रतीक हैं और दुर्गा मां के भक्तों को भी वज्र की भांति दृढ़ होना चाहिए। जैसे बिजली और वज्र जिस भी वस्तु को छूती है उसे ही नष्ट एवं ध्वस्त कर देती है, अपने को बिना क्षति पहुंचाए। इसी तरह माता के भक्तों को भी अपने पर विश्वास करके किसी भी कठिन से कठिन कार्य को खुद को क्षति पहुंचाए बिना करना चाहिए।

कमल के फूल : माता के हाथ में जो कमल का फूल है वह पूर्ण रूप से खिला हुआ नहीं है, इसका तात्पर्य है कि कमल सफलता का प्रतीक तो है परन्तु सफलता निश्चित नहीं है। कमल को संस्कृत में ‘पंकज’ कहा जाता है। अर्थात कीचड़ से या उसमें पैदा होने वाला। इस प्रकार लोभ, वासना और लालच के इस संसार में कीचड़ के बीच भक्तों की आध्यात्मिक गुणवत्ता के सतत् विकास के लिए खड़ा है कमल।

सुदर्शन चक्र : सुदर्शन चक्र जो दुर्गा मां की तर्जनी के चारों ओर घूम रहा है। बिना उनकी उंगली को छुए हुए यह प्रतीक है इस बात का कि पूरा संसार मां दुर्गा की इच्छा के अधीन है और उन्हीं के आदेशों पर चल रहा है। माता इस तरह के अमोघ अस्त्र-शस्त्र इसलिए प्रयोग करती हैं ताकि दुनिया से अधर्म, बुराई और दुष्टों का नाश हो सके और सभी समान रूप से खुशहाली से जी सकें।

तलवार : तलवार जो दुर्गा मां ने अपने हाथों में पकड़ी हुई है वह ज्ञान की प्रतीक है। वह ज्ञान जो तलवार की धार की तरह तेज एवं पूर्ण हो। वह ज्ञान जो सभी शंकाओं से मुक्त हो, तलवार की चमक का प्रतीक माना जाता है।

त्रिशूल : मां दुर्गा का त्रिशूल अपने आप में तीन गुण समाए हुए हैं। यह सत्व, रजस एवं तमस गुणों का प्रतीक है और वह अपने त्रिशूल से तीनों दुखों का निवारण करती हैं। चाहे वह शारीरिक हो, चाहे मानसिक हो या फिर चाहे आध्यात्मिक हो।

देवी मां दुर्गा शेर पर एक निडर मुद्रा में बैठी हैं, जिसे अभयमुद्रा कहा जाता है। जो संकेत है डर से स्वतंत्रता का। जगत की मां दुर्गा अपने सभी भक्तों को बस इतना ही कहती हैं, अपने सभी अच्छे-बुरे कार्यों एवं कर्तव्य को मुझ पर छोड़ दो और मुक्त हो जाओ अपने डर से अपने भय से।
 


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