नागपंचमी: बरतें सावधानी, भूलकर भी न करें ये काम

punjabkesari.in Wednesday, Jul 26, 2017 - 02:15 PM (IST)

भारतीय संस्कृति में हर जीव का महत्व है, यहां केवल नर से बने नारायण की ही पूजा नहीं होती बल्कि उनके अन्य सृजनों की भी बड़े श्रद्घाभाव से पूजा अर्चना की जाती है। तभी तो भगवान श्री कृष्ण की प्रिय गाय को माता के रुप में पूजा जाता है और बैल को भगवान शंकर के वाहन और पीपल को भी किसी देवता से कम नहीं माना जाता। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी नागपंचमी के रुप में मनाई जाती है तथा इस दिन नागों का पूजन करने का विधान है। ऐसा करके लोग नागदेवता को प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद पाते हैं। 27 जुलाई बृहस्पतिवार को नागपंचमी प्रात: 7 बज कर 1 मिनट के बाद आरंभ होगी। इस दिन तक्षक पूजा का विधान है। 

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क्या न करें- वैसे तो इस दिन भूमि आदि नहीं खोदनी चाहिए परंतु उपवास करने वाला मनुष्य सांयकाल को भूमि की खुदाई कभी न करे। नागपंचमी के दिन धरती पर हल न चलाएं, देश के कई भागों में तो इस दिन सुई धागे से किसी तरह की सिलाई आदि भी नहीं की जाती तथा न ही आग पर तवा और लोहे की कड़ाही आदि में भोजन पकाया जाता है। किसान लोग अपनी नई फसल का तब तक प्रयोग नहीं करते जब तक वह नए अनाज से बाबे को रोट न चढ़ाएं।

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पूजा का लाभ- वैसे तो धार्मिक मान्यता से मनुष्य को अनेक प्रकार का पुण्य फल मिलता है परंतु पूजन से नाग संरक्षण की भी प्रेरणा मिलती है तथा पर्यावरण की भी रक्षा होती है। वन सम्पदा के संवर्धन में हरेक जीव की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। लोक आस्था बढ़ती है परंतु खेद है कि स्वार्थ के रंग में रंगे व्यापारी अपने लाभ को देखते हुए सांपों को मारने लगे हैं तथा उनकी खाल और जहर की अंतरराष्ट्रीय मार्कीट में बहुत मांग है। वन विभाग और सरकार इनके संरक्षण के लिए अनेक उपाय भी कर रही है।


प्रस्तुति: वीना जोशी, जालंधर
veenajoshi23@gmail.com


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