मनुस्मृति: सभी को करने चाहिए ये पांच काम, सुख-समृद्धि व मोक्ष की होगी प्राप्ति

punjabkesari.in Sunday, May 21, 2017 - 10:45 AM (IST)

मनुस्मृति को हिन्दू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राचीन धर्मशास्त्र माना गया है। स्वायंभुव मनु द्वारा लिखित शास्त्र मनुस्मृति भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश है। इस ग्रंथ में ब्रह्मा जी के पुत्र मनु महाराज ने ऋषियों को उपदेश दिया है। इन नीतियों का पालन करने से व्यक्ति जीवन में कई लाभ प्राप्त कर सकता है। मनुस्मृति में माना गया है कि हर एक गृहस्थ को पंचमहायज्ञ करना जरूरी है। 

अध्यापनं ब्रह्मायज्ञ: पितृयज्ञस्तु तर्पणम्।
होमो दैवो बलिभौंतो नृयज्ञोतिथि पूजनम्।।

ब्रह्मा यज्ञ

इस यज्ञ का अर्थ है कि वेदों, धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन अौर उन्हें दूसरों को पढ़ाना। इसके नियमित अभ्यास से बुद्धि अौर पवित्र विचारों में वृद्धि होती है। इसलिए प्रतिदिन धार्मिक ग्रंथों को पढ़ना व पढ़ाना चाहिए। 

पितृ यज्ञ
पितृ यज्ञ का अर्थ है कि तर्पण, पिंडदान अौर श्राद्ध है। पुत्रों द्वारा दिए गए तर्पण अौर पिंडदान से पितृ तृप्त होकर खुश होते हैं। तर्पण से पितृ खुश होकर लंबी उम्र, संतान, धन, विद्या, स्वर्ग, मोक्ष अौर सुख का आशीर्वाद देते हैं।

देव यज्ञ
देव यज्ञ का अर्थ है देवताअों का पूजन व हवन करना। देव ही हैं जो सभी विघ्नों का हरण, दूख दूर करने वाले अौर सुख-समृद्धि देने वाले हैं। इसलिए हर घर में देवी-देवताअों का पूजन व हवन करना चाहिए।

भूत यज्ञ
भूत यज्ञ का अर्थ है अपने अन्न में से दूसरे जीवों के कल्याण के लिए कुछ भाग देना। मनुस्मृति के अनुसार अन्न को बर्तन में निकालकर कुत्ता, गरीब, चांडाल, कुष्टरोगी, कौओं, चींटी व कीड़ों आदि के लिए साफ जगह पर रखकर दान दे देना चाहिए। इसी को भूत यज्ञ कहा जाता है। 

अतिथि यज्ञ
इस यज्ञ का अर्थ है कि अतिथि की प्रेम अौर आदर सत्कार से सेवा करना। मनु स्मृति के अनुसार घर के लोगों को अतिथि को भोजन कराकर ही स्वयं करना चाहिए। यही अतिथि यज्ञ है।


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