Mahashivratri: इस विधि से करें व्रत, मिलेगा अश्वमेध यज्ञ के समान फल

punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2024 - 07:00 AM (IST)

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Mahashivratri 2024: मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में इसी दिन मध्य रात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा जाता है। काल के काल और देवों के देव महादेव के इस व्रत का विशेष महत्व है। ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को अर्द्धरात्रि के समय करोड़ों सूर्य के तेज के समान ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। स्कंदपुराण के अनुसार-चाहे सागर सूख जाए, हिमालय टूट जाए, पर्वत विचलित हो जाएं परंतु शिव-व्रत कभी निष्फल नहीं जाता। भगवान राम भी यह व्रत रख चुके हैं।

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Mahashivratri 2024 Fasting Rules: महाशिवरात्रि पर काले तिलों सहित स्नान करके व व्रत रख कर रात्रि में भगवान शिव की विधिवत आराधना करना कल्याणकारी माना जाता है। अगले दिन अर्थात अमावस के दिन मिष्ठान्नादि सहित ब्राह्मणों तथा शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों को भोजन देने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए। यह व्रत महा कल्याणकारी होता है और इससे अश्वमेध यज्ञ तुल्य फल प्राप्त होता है।

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Tradition of mahashivratri fast महाशिवरात्रि व्रत की परंपरा
प्रात: काल स्नान से निवृत्त होकर एक वेदी पर, कलश  की स्थापना कर गौरी शंकर की मूर्ति या चित्र रखें । कलश को जल से भर कर रोली, मौली, अक्षत, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, कमल गट्टा, धतूरा, बिल्व पत्र, कनेर आदि अर्पित करें और शिव की आरती पढ़ें। रात्रि जागरण में शिव की चार आरतियों का विधान आवश्यक माना गया है। इस अवसर पर शिव पुराण का पाठ भी कल्याणकारी कहा जाता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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