पारिवारिक खुशहाली के लिए आज करें इस मंत्र का जाप, पढ़ें मां शीतला की कथा

punjabkesari.in Friday, Mar 09, 2018 - 08:06 AM (IST)

आज 9 मार्च को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस रोज बासी खाना खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ये त्यौहार दो ऋतुओं के संधिकाल में आता है, जब सर्दी का अंत और गर्मी का आरंभ हो रहा होता है। आज के दिन यदि सारा परिवार मिलकर शीतला माता के मंत्र का जाप करेगा तो घर-परिवार में खुशहाली का वातावरण बना रहेगा। पारिवारिक सदस्य रोगों से दूर रहेंगे। इस मंत्र का कम से कम एक माला जाप करें।

मंत्र- वन्दे हं शीतलां देवी रासभस्थां दिगम्बराम्। मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालङ्कृतमस्तकाम्।।


माता शीतला जी की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता शीतला जी की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा जी से ही हुई थी।  ब्रह्मा जी ने माता शीतला को धरती पर पूजे जाने के लिए भेजा था। देवलोक से धरती पर मां शीतला अपने साथ भगवान शिव के पसीने से बने ज्वरासुर को अपना साथी मानकर लाईं। तब उनके पास दाल के दाने भी थे। उस समय के राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने के लिए कोई स्थान नहीं दिया तो माता शीतला क्रोधित हो गईं। 


उसी क्रोध की ज्वाला से राजा की प्रजा के शरीर पर लाल-लाल दाने निकल आए और लोग उस गर्मी से संतप्त हो गए। राजा को अपनी गलती का एहसास होने पर उन्होंने माता शीतला से माफी मांगकर उन्हें उचित स्थान दिया। लोगों ने माता शीतला के क्रोध को शांत करने के लिए ठंडा दूध एवं कच्ची लस्सी उन पर चढ़ाई और माता शांत हुईं। तब से हर साल शीतला अष्टमी पर लोग मां का आशीर्वाद पाने के लिए ठंडे बासी भोजन का प्रसाद मां को चढ़ाने लगे और व्रत करने लगे।


वैसे तो फाल्गुन मास की पूर्णिमा एवं फाल्गुन मास की संक्रांति से ही लोग नियम से प्रात: माता शीतला पर लस्सी चढ़ाना शुरू कर देते हैं तथा पूरा महीना माता शीतला की पूजा करते हैं परंतु जिन्होंने अब तक शीतला माता का पूजन किसी कारणवश नहीं किया है वे शीतला अष्टमी का व्रत करके अथवा मां पर कच्ची लस्सी चढ़ा कर मां की कृपा के पात्र बन सकते हैं।


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