नवदुर्गा के तृतीय रूप- मैया चंद्रघंटा की आरती का करें गुनगान
punjabkesari.in Tuesday, Mar 20, 2018 - 06:14 PM (IST)
‘‘तू रणचंडी पापनाशिनी मैया’’
प्रेम-आस्था से मन को महकाएं, मैया चंद्रघंटा के द्वारे जाएं!
चरणों में जगमग ज्योत जलाएं, दिल भक्तों का मां लुभाती!!
आओ हम सब रलमिल उतारें, तृतीय नवरात्र की आरती!!
मस्तक पर अद्र्धचंद्र तुम्हारे, चमकें कानों में कुंडल प्यारे!
शेर की सवारी, परिधान रंगीला, देवलोक तक छाए तेरे नजारे!!
झिलमिल-झिलमिलाता मुखमंडल, दमके स्वरूप से प्रभामंडल!
दसों हाथों अस्त्र-शस्त्र विराजे, हीरे जड़ी गले माला साजे!
समूचे ब्रह्मांड में मां तेरी ख्याति, उतारें ज्योत जलाकर आरती!!!
दुष्टों, पापियों को मिटाने वाली, भक्ति की अलख जगाने वाली!
तू रणचंडी, पापनाशिनी मैया, दानवों के संग भिड़ जाने वाली!!
ब्रह्म-मुहूर्त तेरी उपासना करें, हर मनोकामना भक्त पूर्ण करें!
विचारों को करे सहनशीलता प्रदान, मैया हमारी है करुणानिदान!!
साकार प्रकट हो भक्तों को पुकारती, उतारें जगजननी की आरती!!!
कहे ‘झिलमिल’ अम्बालवी कवि, गद्गद् होकर जय-जय बोलो!
मां की भक्ति में प्रेम से डोलो, अन्तर्मन के चक्षु सब खोलो!!
कन्याओं को जो गले लगाएगा! सुख-संपत्ति द्वारे से पाएगा!
भवसागर के पार लगाओ नैया
तू है सारे जग की मां खवैया!!
सोए हुओं के मैया भाग्य जगाती
उतारें चंद्रघंटा मां की आरती!!!
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