जानें, कौन सा ग्रह किस रोग को देता है आंमत्रण

punjabkesari.in Thursday, Nov 09, 2017 - 12:26 PM (IST)

ग्रहों का रोग कारकत्व एवं उनका शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव प्रत्येक ग्रह में विभिन्न रोगों को उत्पादन करने वाले निहित गुण होते हैं। कौन सा ग्रह किस रोग के लिए जिम्मेदार है या यह कहें किस रोग का कारक है। इस बात का जानना आवश्यक है। ताकि किसी व्यक्ति को कौन सी बीमारी होने की संभावना है ये पता लगाया जा सके और उसका उचित उपचार किया जा सके। क्योंकि सुर्य आंखों, चंद्रमा मन, मंगल रक्त संचार, बुध हृदय, बृहस्पति बुद्धि, शुक्र प्रत्येक रस तथा शनि, राहू और केतु उदर का स्वामी है। जिस वजह से इनका हमारे शरीर हर तरह का प्रभाव होना संभव है। आईए जानतें है कौन से ग्रह के चलते कौन सा रोग पनपता है। 


सूर्य: इस ग्रह के प्रभाव से पित्त, वर्ण, जलन, उदर, सम्बन्धी रोग, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी, न्यूरोलॉजी से संबंधी रोग, नेत्र रोग, ह्रदय रोग, अस्थियों से संबंधी रोग आदि समस्त रोग होते है। 

चंद्रमा: मानसिक विकार, विकलता, छाती का विकार, पुरुष की बाईं आंख व स्त्री की दाईं आंख, कफ, फेफड़े, रक्ताल्पता, मुख रोग, तरल-बहाव, रक्तविकार गर्भाशय, पाचनक्रिया तथा त्वचा संबंधी आदि रोगों व पीडाओं की संभावना चंद्रमा के निर्बल या पीड़ित होने पर रहती है।

मंगल: पित्त ज्वर, तृषा, जानवरों द्वारा काटे जाना, आॅपरेशन, दुर्घटना, उच्चरक्तचाप , गर्भपात, रक्तविकार, मानसिक विचलन, कातरता, फोड़े-फुंसी, मज्जा का रोग, खुजली, देह्भंग, घाव, मृगी, ट्यूमर, अग्निदाह और शस्त्राघात और शरीर के ऊपर के भाग में पीड़ा आदि ये व व्याधियां निर्बल मंगल के कारण होती हैं।

बुध: भ्रान्ति, खराब वचन, अत्यधिक पसीना आना, नसों का दर्द, संवेदनशीलता, बहरापन, नपुंसकता, जीभ, मुंह, गले व नाक से उत्पन्न रोग, चर्मरोग, मस्तिष्क व तंत्रिकाओं संबंधी विकार, दमा, श्वास- नली में अवरोध, नर्वस ब्रेकडाउन, बिमारीयां पीड़ित बुध के कारण होने की कारण होती है।
 


गुरु: इस ग्रह के प्रभाव से दंतरोग, स्मृतिहीनता, अंतड़ियों का ज्वर, कर्णपीड़ा, पीलिया, लीवर की बीमारी, सिर का चक्कर, पित्ताशय के रोग, रक्ताल्पता, नींद न आने की बीमारी, शोक, विद्वान गुरु आदि शारीरिक कष्ट-कठिनाइयों  से गुजरना पड़ता है।

शुक्र: इस ग्रह के प्रभावी होने पर  मधुमेह, पित्ताशय या गुर्दे में पथरी, मूत्रकृच्छ, प्रमेह, अन्य गुह्यस्थान के रोग, मोतियाबिन्द आदि रोगों को झेलना पड़ेता है। 

शनि: जिस पर शनि का प्रभाव पड़ जाए उसे पैर की पीड़ा, कुक्षिरोग, लकवा, गठिया, अस्थमा, यक्ष्मा, आतंरिक उष्णता, गिल्टी सम्बन्धी रोग, पागलपन, शठता शरीर के किसी अंग में दर्द, हृदय में परिताप-जलन, दीर्घ काल के रोग आदि से पीडि़त होना पड़ता है। 

राहू: हृदय में ताप, अशांति, कृत्रिम जहर का भय, पैर की पीड़ा, अशुभ बुद्धि, कुष्ट रोग, पिशाच और सर्प दंश का भय, इत्यादि रोगों से जूझना पड़ता है। 


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