आप भी अपने क्रोध को मन में गहराई तक बैठाते हैं

punjabkesari.in Thursday, Jul 06, 2017 - 03:05 PM (IST)

आजकल जब भी समाचारपत्र खोलो, किसी न किसी की आत्महत्या की खबर जरूर पढऩे को मिलती है। इनमें से अधिकतर लोग युवा होते हैं, अच्छे पढ़े-लिखे होते हैं। उनकी आत्महत्या का प्रमुख कारण आधुनिक जीवन के तनाव होते हैं। आजकल हमें सफलता के लिए इंतजार करने की आदत ही नहीं रही है। एक तरह से हमारे अंदर धीरज ही नहीं रहा है। झटपट काम होना चाहिए और तुरंत उसका फल भी मिलना चाहिए। इसी आदत के कारण हर कोई जल्दी निराश हो जाता है, हताश हो जाता है और अपना जीवन दाव पर लगाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जाती है।


हममें से हर किसी को अपना जीवन प्यारा होता है। फिर भी क्रोध के आवेश में, निराशा की कगार पर, दुख के समय मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति अपने आपको असफल, अक्षम मान लेते हैं और निराशा का, विफलता का क्रोध स्वयं पर ही उतारते हैं। अधिकतर यही होता है कि ऐसे व्यक्ति के परिवार के सदस्य, सहकर्मी, दोस्त भी उसकी इस मानसिक स्थिति से अवगत नहीं होते। आत्महत्या तो एक प्रकार से अपने ही विरुद्ध आक्रमण होता है। 


हमारी सुख-शांति स्वास्थ्य, संपदा तथा स्वाभिमान जैसे तीन खंभों पर खड़ी रहती है। हमारे जीवन में कभी-कभी कुछ कठिनाइयां आती हैं। ऐसे समय हम हताश हो जाते हैं। इस हताशा के कारण तीनों खंभे डगमगाने लगते हैं। हमारे मन में कई नकारात्मक विचार प्रभावी हो जाते हैं। हमारा आत्मविश्वास ही कहीं खो जाता है। दूसरों को कष्ट न हो, इसलिए हम अपना क्रोध प्रकट नहीं करते। यही क्रोध मन में गहराई तक बैठता है और उसका रूपांतर आत्मघात में हो जाता है।


आत्मघात की ओर उठने वाले हमारे कदमों को रोकने के लिए जरूरी है कि हम अपनी सही पहचान खुद करें। अपने आप पर होने वाले भरोसे में वृद्धि करें। जीवन की छोटी-छोटी बातों का पूरे मन से आनंद उठाएं। अपने परिवार के प्रेम के धागे दृढ़ करें। अपने शरीर की मर्यादा को पहचानें।
 


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